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लखनऊ में दिनदहाड़े चली गोली, मुख्‍तार अंसारी का प्रतिनिधि घायल

उत्तर प्रदेश में आपराधिक मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब लखनऊ में दिनदहाड़े हजरतगंज थाना क्षेत्र में हबीबुल्लाह स्टेट के अंदर गोली चलने का मामला सामने आया है.

बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी पिछले कई साल से जेल में बंद हैं (फाइल फोटो) बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी पिछले कई साल से जेल में बंद हैं (फाइल फोटो)
परवेज़ सागर/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 30 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST

उत्तर प्रदेश में आपराधिक मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब लखनऊ में दिनदहाड़े हजरतगंज थाना क्षेत्र में हबीबुल्लाह स्टेट के अंदर गोली चलने का मामला सामने आया है. इस वारदात के दौरान लगातार तीन बार फायरिंग की गई, जिसमें सईद जाफरी नामक युवक गोली लगने से घायल हो गया. जिसे मुख्तार अंसारी का प्रतिनिधि बताया जा रहा है.

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यूपी की राजधानी लखनऊ में भी अपराधी बेखौफ नजर आ रहे हैं. उसी का नतीजा है कि राजधानी के प्रमुख इलाकों में से एक हजरतगंज थाना क्षेत्र में के हबीबुल्लाह स्टेट में दिनदहाड़े बदमाशों ने गोलीकांड को अंजाम दे डाला. गोली चलते ही पूरे इलाके में दहशत फैल गई.

हमलावरों ने इस दौरान लगातार तीन बार फायरिंग की. जिसमें सईद जाफरी नामक युवक गोली लगने से घायल हो गया. घटना के बाद उसे फौरन नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया. सईद को बाहुबली मुख्तार अंसारी का प्रतिनिधि बताया जा रहा है.

कौन हैं मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में ही हुआ था. उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. जबकि उनके पिता एक कम्यूनिस्ट नेता थे. राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली. किशोरवस्था से ही मुख्तार निडर और दबंग थे. उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और सियासी राह पर चल पड़े. कॉलेज में उन्होंने एक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा कुछ खास नहीं किया. लेकिन राजनीति विज्ञान के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर बी.बी. सिंह के मुताबिक वह एक आज्ञाकारी छात्र थे.

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1970 में सरकार ने पिछड़े हुए पूर्वांचल के विकास के लिए कई योजनाएं शुरु कीं. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस इलाके में जमीन कब्जाने को लेकर दो गैंग उभर कर सामने आए. 1980 में सैदपुर में एक प्लॉट को हासिल करने के लिए साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह का दूसरे गिरोह के साथ जमकर झगड़ा हुआ. यह हिंसक वारदातों की श्रृंखला का एक हिस्सा था. इसी के बाद साहिब सिंह गैंग के ब्रजेश सिंह ने अपना अलग गिरोह बना लिया और 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर कब्जा करना शुरु कर दिया. अपने काम को बनाए रखने के लिए बाहुबली मुख्तार अंसारी का इस गिरोह से सामना हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई थी.

1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में उनका नाम आया था. हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी. लेकिन इस बात को लेकर वह चर्चाओं में आ गए थे. 1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम था. छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे. पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था.

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1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा. 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए. उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया. 2002 आते आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए. इसी दौरान एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था. उसके मारे जाने की अफवाह थी. इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे. मुख्तार चौथी बार विधायक हैं.

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