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मध्य प्रदेश: बच्चा चोर होने के शक में भीड़ ने की कांग्रेस नेताओं की पिटाई

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में बच्चा चोर होने के शक में भीड़ ने कांग्रेस के दो नेताओं और एक सामाजिक कार्यकर्ता की पिटाई कर दी.

प्रतीकात्मक फोटो (फाइल फोटो- AajTak) प्रतीकात्मक फोटो (फाइल फोटो- AajTak)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

मध्य प्रदेश में भीड़ की हिंसा के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. बैतूल जिले में बच्चा चोर होने के शक में भीड़ ने कांग्रेस के दो नेताओं और एक सामाजिक कार्यकर्ता की पिटाई कर दी.

मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना शाहपुर थाना क्षेत्र की है. यहां कांग्रेस के जिला महामंत्री धर्मेद्र शुक्ला, जनपद सदस्य रामू सिंह लांजीवार और आदिवासी कोरकू समाज के तहसील अध्यक्ष ललित बारस्कर गुरुवार (25 जुलाई) देर रात को केसिया ग्राम से अपनी कार से घर लौट रहे थे. इस दौरान ग्राम नवल सिग ढाना रोड पर झाड़ियां पड़ी हुई थीं. बीच रास्ते में झाड़ियां पड़ी देखकर तीनों ही घबरा गए और अपनी कार को वापस गांव की ओर ले जाने लगे.

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इसी बीच वापस होती कार को देखकर ग्रामीणों ने उनके बच्चा चोर होने के शक में उन पर हमला कर दिया. ग्रामीणों के हमले से कार क्षतिग्रस्त हो गईं और तीनों नेताओं को भी चोटें आई हैं.

शाहपुर थाने से थाना प्रभारी दीपक पाराशर घटना की जानकारी मिलने पर दलबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे तब तक आरोपी फरार हो चुके थे. धर्मेद्र शुक्ला की शिकायत पर पुलिस ने सीतलझिरी ग्राम के पांच ग्रामीणों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है.

बता दें कि मध्य प्रदेश में भीड़ की हिंसा और मॉब लिंचिंग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए एक ओर सरकार जहां इसके खिलाफ सख्त कानून लाने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष ने राज्य की सरकार को अब तक की सबसे असफल सरकार करार दिया है.

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वहीं, मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने पूछा है कि उन्होंने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश की सरकार को नोटिस जारी किया है.

बता दें कि मॉब लिंचिंग के लिए दायर की गई याचिका में कहा गया था कि 2018 में विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई राज्य सरकारें लिंचिंग को नहीं रोक पा रही हैं.

 

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