
सेंट्रल जीएसटी की इंटेलिजेंस टीम ने मध्य प्रदेश की एक प्रमुख सीमेंट निर्माता कंपनी पर कार्रवाई करते हुए करीब 17 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा किया है. छापे के दौरान कंपनी के दफ्तर से 52 लाख 39 हजार रुपये की नगदी भी जब्त की गई है.
बुधवार को एक बयान जारी करते हुए जीएसटी की सेंट्रल इंटेलिजेंस की टीम ने बताया कि विभाग ने 5 अगस्त से लेकर 11 अगस्त तक मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई ठिकानों पर कार्रवाई की. ये सभी ठिकाने मध्य प्रदेश के मैहर स्थित एक प्रमुख सीमेंट निर्माता कंपनी से संबंधित हैं.
जीएसटी की सेंट्रल इंटेलिजेंस टीम के मुताबिक, कार्रवाई के दौरान पाया गया है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में सीमेंट और क्लिंकर की सप्लाई हुई है वो भी बिना जीएसटी चुकाए.
DGGI के मुताबिक, 5 अगस्त से 11 अगस्त तक चली इस कार्रवाई में मैहर, सतना, इलाहाबाद, कुशीनगर, आगरा, कानपुर और नई दिल्ली में कुल 28 बार छापे मारे गए.
छापे के दौरान DGGI ने पाया कि जनवरी 2020 से जुलाई 2020 के दौरान सात महीनों में कंपनी के रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों से करीब 4 लाख टन ज्यादा लाइमस्टोन का खनन किया, लेकिन इसको रिकॉर्ड में नहीं दर्ज किया गया. सीमेंट बनाने के लिए लाइमस्टोन एक अहम तत्व होता है.
DGGI के मुताबिक, अतिरिक्त लाइमस्टोन का खनन कर उससे जो सीमेंट और क्लिंकर बनाया गया, उसे बिना जीएसटी चुकाए गुप्त रूप से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के कई डीलरों को सप्लाई किया गया.
छापे के दौरान कंपनी के आधिकारिक रिकॉर्ड को ध्यान से देखने पर पता चला कि कंपनी के स्टॉक में करीब 12 लाख सीमेंट की बोरियां कम पाई गई हैं. विभाग को आशंका है कि सीमेंट की इन बोरियों को बिना जीएसटी चुकाए गुप्त रूप से सप्लाई किया गया है.
कोरोना इफेक्ट: ब्रिटेन में आ गई मंदी, अर्थव्यवस्था में करीब 20 फीसदी की गिरावट
DGGI ने छापों के दौरान पाया कि करोड़ों रुपये की इस जीएसटी चोरी का सीधा सीधा आर्थिक फायदा कंपनी के दो डायरेक्टरों को हुआ. इनमें से एक डायरेक्टर को 12 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि दूसरे डायरेक्टर ने तीन बार समन भेजे जाने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया और फरार हो गया.
जीएसटी की सेंट्रल इंटेलिजेंस टीम के मुताबिक कंपनी के फरार डायरेक्टर पर इससे पहले भी साल 2017 में कोयला घोटाले में शामिल होने के बाद दिल्ली की अदालत द्वारा सज़ा सुनाई गई थी और जुर्माना लगाया गया था.