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यौन शोषण से तंग आकर माओवादी कमांडरों ने किया आत्मसमर्पण

आत्मसमर्पण के बाद इस दंपति ने नाबालिग लड़कियों का अपहरण और शोषण की दास्तान सुनाई. उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें आंदोलन में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की तरफ कई सुविधाएं दी जाती हैं (सांकेतिक चित्र) सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की तरफ कई सुविधाएं दी जाती हैं (सांकेतिक चित्र)
परवेज़ सागर/दिव्येश सिंह
  • गढ़चिरौली,
  • 25 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ पुलिस की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल दो खूंखार नक्सलियों ने गुरुवार को महाराष्ट्र में गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. नक्सलियों की पहचान 30 वर्षीय दीपक उर्फ ​​मंगरू सुकलू बेगामी और 28 वर्षीय मोटो उर्फ ​​राधा झुरु के रूप में हुई है. ये दोनों पति-पत्नी हैं.

माओवादी दंपति ने आत्मसमर्पण करने के बाद खुलासा किया है कि वरिष्ठ माओवादी नेता महिलाओं का यौन शोषण करते थे. दीपक उर्फ ​​मंगरू सुकलू बेगामी ने साल 2001 में माओवादियों के दल में एंट्री की थी. वो 2012 से लगातार कंपनी 5 में दलम का डिविजनल कमांडर था.

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बेगामी 17 मुठभेड़ों, 12 हत्याओं और 3 माइन ब्लास्ट के मामलों में वॉन्डेट था. महाराष्ट्र सरकार ने उसके सिर पर 9.25 लाख का इनाम घोषित किया था. जबकि उसकी पत्नी मोती उर्फ ​​राधा झुरू मज्जी ने साल 2004 में माओवादियों के भामरागढ़ दलम में सदस्यता ली थी. राधा को 2017 में नॉर्थ बस्तर कंपनी 10 के डिवीजनल कमांडर के पद पर पदोन्नत किया गया था.

मोती उर्फ राधा सुरक्षा बलों के साथ 15 मुठभेड़ों और 2 हत्याओं के मामले में वॉन्टेड थी. महाराष्ट्र सरकार ने उसके सिर पर भी 9.25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. आत्मसमर्पण के बाद इस दंपति ने नाबालिग लड़कियों का अपहरण और शोषण की दास्तान सुनाई. उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें आंदोलन में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था.

सरेंडर करने वाले पति-पत्नी ने बताया कि अब वे दंपति के रूप में एक सामान्य जीवन व्यतीत करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की तय नीति के अनुसार अपने हथियार डालने और आत्मसमर्पण करने का फैसला किया.

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