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असमः 24 साल पुराने फेक एनकाउंटर में मेजर जनरल और 6 अन्य को उम्रकैद

असम में 1994 में 5 युवकों के फेक एनकाउंटर मामले में आर्मी कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए 7 सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सजा पाने वालों में एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 अन्य सैनिक शामिल हैं.

प्रतिकात्मक तस्वीर प्रतिकात्मक तस्वीर
वरुण शैलेश
  • गुवाहाटी,
  • 15 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 10:04 AM IST

सेना की एक अदालत ने असम में  24 साल पुराने फेक एनकाउंटर मामले में मेजर जनरल और 6 अन्य सैन्यकर्मियों को दोषी करार दिया है. 1994 में फेक एनकाउंटर में 5 युवकों के मारे जाने के मामले में इन सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. भारतीय सेना के सूत्रों ने इस फैसले की पुष्टि की है.   

सूत्रों ने बताया,  असम के तिनसुकिया जिले में 1994 में हुए फर्जी मुठभेड़ मामले में जिन 7 लोगों को दोषी ठहराया गया है, उनमें मेजर जनरल ए. के. लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, कर्नल आर. एस. सिबिरेन, जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स और नॉनकमिशंड ऑफिसर्स दिलीप सिंह, जगदेव सिंह, अलबिंदर सिंह और शिवेंदर सिंह शामिल हैं. दोषी सैन्यकर्मी इस फैसले के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.

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समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक असम के मंत्री और बीजेपी नेता जगदीश भुयान ने बताया, चाय बगान के एक अधिकारी की हत्या की संदेह में 18 फरवरी 1994 को तिनसुकिया जिले के विभिन्न हिस्सों से नौ लोगों को उठाया गया. सेना के जवानों ने एक फर्जी मुठभेड़ में  इनमें से पांच युवकों को उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) का सदस्य बताते हुए गोली मार दी. जबकि बाकी चार लोगों को कुछ दिन बाद छोड़ दिया गया.  

जगदीश भुयान ने उसी साल 22 फरवरी को गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका दायर की और युवकों के गायब होने की सूचना मांगी. भुयान की याचिका पर हाईकोर्ट ने भारतीय सेना से कहा कि वह ऑल इंडिया असम स्टूडेंट यूनियन के लापता 9 कार्यकर्ताओं को नजदीक के पुलिस थाने में पेश करे. इसके बाद सेना ने तिनसुकिया के ढोला पुलिस थाने में पांच शव प्रस्तुत किए थे.  

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इस मामले में कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया इस साल 16 जुलाई को शुरू हुई थी जबकि 27 जुलाई तक सुनवाई पूरी कर ली गई. सेना के सूत्रों ने बताया कि दोषी सैन्य कर्मियों के खिलाफ शनिवार को सजा सुनाई गई. वहीं इस मामले की अकेले लड़ाई लड़ने वाले जगदीश भुयान ने आर्मी कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया है और कहा, 'मुझे भारतीय न्याय व्यवस्था, लोकतंत्र और सेना के अनुशासन एवं निष्पक्षता पर पूरा विश्वास है.'

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