
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में दो विजिटिंग प्रोफेसरों के विवादित ट्वीट पर हंगामा करने वाले 23 छात्रों को यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया है. मंगलवार को जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह कार्रवाई की है.
प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि आगामी आदेश तक छात्रों को विश्वविद्यालय से निष्कासित किया गया है. निष्कासन अवधि में विद्यार्थियों को कक्षाओं में उपस्थित होने और आगामी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी.
आपको बता दें कि माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार ने कुछ दिन पहले मीडिया को लेकर जातिगत टिप्पणी वाले ट्वीट किए थे. इससे छात्रों का एक वर्ग नाराज हो गया था और शुक्रवार शाम को यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस बुलाकर छात्रों को पहले कैंपस से बाहर किया गया था और फिर बाद में कुछ छात्रों के खिलाफ विश्विद्यालय प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई थी.
इसके साथ ही मामले की जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की थी. इस कमेटी ने मामले की जांच के दौरान कैंपस में लगे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर रिपोर्ट बनाकर अनुशासन समिति को भेजा था. 14 दिसंबर को अनुशासन समिति की बैठक हुई थी, जिसके आधार पर 23 छात्रों को प्रदर्शन के दौरान शासकीय कार्य में बाधा डालने और बलवा करने का दोषी करार दिया गया. इसके बाद मंगलवार शाम को 23 छात्रों के निष्कासन का आदेश जारी कर दिया गया.
लोकतंत्र को कुचलने वाला कदम: शिवराज सिंह चौहान
छात्रों को विश्विद्यालय से निष्कासित करने को भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गलत बताया है.
उन्होंने देर शाम ट्वीट किया, 'माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में छात्रों को जायज मांगें उठाने पर निष्कासित कर दिया गया. यह बच्चों की आवाज दबाने और लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास है. छात्रों को निष्कासित कर उनके भविष्य को तबाह करने के इस षड्यंत्र को हम कामयाब नहीं होने देंगे. मेरी मांग है कि माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के छात्रों की सभी जायज मांगें मानी जाएं और उनका निष्कासन तुरंत वापस लिया जाए.’