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जाट आंदोलन के दौरान महिला यात्रियों से किया गया गैंगरेप!

सोनीपत जिले में नेशनल हाईवे-1 पर सोमवार की सुबह कुछ वाहनों को रोककर उनमें सवार महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. लेकिन पुलिस इस मामले को केवल अफवाह बताकर अपना पल्ला झाड़ रही है.

सोनीपत पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है सोनीपत पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है
परवेज़ सागर
  • सोनीपत,
  • 24 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

हरियाणा के सोनीपत जिले में नेशनल हाईवे-1 पर सोमवार की सुबह कुछ वाहनों को रोककर उनमें सवार महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. लेकिन पुलिस इस मामले को केवल अफवाह बताकर अपना पल्ला झाड़ रही है. जबकि चश्मदीदों के मुताबिक दस महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उन्हें खेतों में छोड़ दिया गया.

दैनिक ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक यह खौफनाक घटना मुरथल के पास हुई. अब सोनीपत का जिला प्रशासन और पुलिस इस मामले को दबाने की कोशिश में जुटे हैं. यहां पुलिस पीड़ितों और उनके परिवारों को ‘अपने सम्मान की खातिर’ रिपोर्ट दर्ज न कराने को कह रही है.

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सोमवार तड़के 30 से अधिक बदमाशों ने एनसीआर की तरफ जाने वाले कई वाहनों को रोका और उनमे आगजनी कीय वाहनों में सवार लोग जान बचाकर भागने लगे, लेकिन कुछ महिलाएं नहीं भाग पाईं. उन बदमाशों ने महिलाओं के कपड़े फाड़ दिये और उनके साथ बलात्कार किया.

इस खौफनाक वारदात की पीड़ित महिलाएं तब तक खेतों में पड़ी रहीं जब तक कि उनके पुरुष रिश्तेदार और गांव हसनपुर और कुराड के लोग कपड़े और कंबल लेकर नहीं आ गए.

नाम उजागर न करने की शर्त पर एक चश्मदीद ने दैनिक को बताया कि तीन महिलाओं को अमरीक सुखदेव ढाबे पर ले जाया गया, जहां वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में अपने परिजनों से मिलीं. वे बेहोशी की हालत में मरणासन्न सी थीं.

सोनीपत जिला प्रशासन के अधिकारी भी आ वहां पहुंचे लेकिन मामले की जांच या पीड़ितों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के बजाय उन्होंने परिजनों पर महिलाओं को घर ले जाने का दबाव बनाया. और कई पीड़ितों को वाहन भी उपलब्ध कराये.

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खबर के मुताबिक रविवार को हुई आगजनी के कारण हसनपुर और कुरड गांव के कई लोग भी सुखदेव ढाबे पर शरण लिये हुए थे. ढाबा मालिक अमरीक सिंह ने बताया कि उन्हें इस वारदात के बारे में तड़के 3 बजे के आसपास तब पता चला जब सड़क पर चल रहे कुछ लोगों ने महिलाओं की चीत्कार सुनी.

अमरीक ने बताया कि उनके ढाबे से करीब एक किलोमीटर दूर सड़क पर आंदोलनकारी जाम लगाकर बैठे थे. जाम को लाठीचार्ज के बाद सुरक्षाबलों ने हटा दिया था. लेकिन कुछ बदमाश वहीं झाड़ियों में छिप गए थे. वाहनों की आवाजाही के बाद वहां से सुरक्षाबलों के हटते ही ये लोग सड़क पर आ गए थे.

एक प्रत्यक्षदर्शी ने दैनिक को बताया कि उन लोगों ने वाहनों को रोकने के बाद पुरुषों से भाग जाने को कहा. कुछ महिलाएं वहां रह गईं थी जिनके साथ अमानवीय कृत्य हुआ. कुरड के युवक हरिकृष्ण और हसनपुर के जिले सिंह ने कहा कि वो वारदात की चर्चा भी नहीं करना चाहते. पुलिस ने अपराधियों को शरण दी होगी. कोई सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा, यहां तक स्थानीय लोग भी.

ढाबा चलाने वालों ने बताया कि कुछ महिलाएं तो इन खूंखार लोगों के चंगुल से आश्चर्यजनक ढंग से बचके उनके ढाबे तक पहुंच गईं थीं. उन्होंने बताया कि चार औरतें उनके ढाबे पर लगी टंकियों के पीछे छिप गईं थी. तभी हमने सारी बत्तियां बुझा दीं, ताकि उनका पीछा कर रहे लोगों का ध्यान उनकी तरफ न जाए. वे वहां लगातार चार घंटों तक बैठी रहीं.

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कई लोगों ने पुष्टि करते हुए कहा कि मौक पर पीड़ितों को ‘बदनामी से बचने के लिये’ इस मामले को न उठाने की बात समझाई गई. पीड़ित और उनके परिजनों की भीड़ के बीच इस मौके पर सेना के भी कुछ अधिकारी मौजूद थे.

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