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'गरीब' जिंगू ऐसे बना कुख्यात नक्सली जपन्ना, लेकिन प्यार ने कराई 'घर वापसी'

सुरक्षा बलों के सामने सरेंडर करने वाले कुख्यात नक्सली जिंगू नरसिंह रेड्डी उर्फ़ जपन्ना रेड्डी की सुरक्षा में पुलिस दिन-रात जुटी हुई है. छत्तीसगढ़ पुलिस जल्द ही इसको लेकर बस्तर लाएगी. जपन्ना लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में सक्रीय रहा है.

कुख्यात नक्सली जपन्ना रेड्डी और उसकी प्रेमिका रंजिता कुख्यात नक्सली जपन्ना रेड्डी और उसकी प्रेमिका रंजिता
मुकेश कुमार/सुनील नामदेव
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:23 PM IST

सुरक्षा बलों के सामने सरेंडर करने वाले कुख्यात नक्सली जिंगू नरसिंह रेड्डी उर्फ़ जपन्ना रेड्डी की सुरक्षा में पुलिस दिन-रात जुटी हुई है. छत्तीसगढ़ पुलिस जल्द ही इसको लेकर बस्तर लाएगी. जपन्ना लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में सक्रीय रहा है. उसने बस्तर में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों पर हमले से लेकर नक्सलवाद की जड़े जमाने में अहम भूमिका निभाई है.

डीजीपी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी के मुताबिक, जल्द ही तेलंगाना से उसे छत्तीसगढ़ लाया जाएगा. इससे नक्सली रणनीतिक मोर्चे पर पूछताछ होगी. बताया जा रहा है कि वारंगल के एक गरीब परिवार में जपन्ना का जन्म हुआ था. उसका बचपन आश्रम में बिता था. उसके परिवार में उसकी दो बहने, एक भाई और मां आज भी वारंगल में रहते हैं.

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वर्तमान में परिवार की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार जरूर आया है. यह भी बताया जा रहा है कि अपनी मां के बुढ़ापे को लेकर जपन्ना काफी चिंतित रहता था. नक्सली दलम में रहकर जिस तेजी से उसने नक्सलवाद की सीढ़ियां चढ़ी उससे उसके कई दुश्मन भी पैदा हो गए थे. इसी दौरान उसका रंजीता से लगाव हो गया था. दोनों का संबंध मजबूत बन चुका था.

नक्सली दलम में रहकर चूंकि शादीशुदा जीवन व्यतीत नहीं किया जा सकता था. इसलिए जपन्ना ने मुख्यधारा में लौटने का मन बना लिया. इस बीच वारंगल में पुलिस और उसके खुफिया तंत्र से बचते हुए उसने दो दिन अपनी मां के पास गुजारे. उसकी मां ने ही उसे हथियार डालने और सुरक्षित जीवन जीने के लिए आत्मसमर्पण करने के सलाह दी थी.

इसके बाद जपन्ना ने नक्सली दलम से दूरियां बनाना ही मुनासिब समझा. पुलिस को दिए बयान में उसने बताया कि 1984 के दशक में वो नक्सली नेता अप्पाराव के संपर्क में आया था. इस दौरान आंध्र प्रदेश पुलिस नक्सलवाद के खिलाफ सख्त रवैया अपना रही थी. यही से उसने नक्सलवाद का पाठ पढ़ा और फिर बगावती तेवर अपना लिए.

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करीब आधा दर्जन राज्यों में जपन्ना आंतक का पर्याय बन गया था. उस पर दो करोड़ से ज्यादा के इनाम की रकम रखी गई थी. इसलिए नक्सली दलम ही नहीं बल्कि सेंट्रल कमेटी में जपन्ना का काफी दबदबा था. सेंट्रल कमेटी के कई नेता नक्सली आंदोलन को मजबूती देने के मामले में जपन्ना की राय को अधिक तरजीह देते थे.

उन्होंने सपनों में भी नहीं सोचा था कि जपन्ना आत्मसमर्पण करने की हिमाकत कर सकता है. जपन्ना पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 40 लाख, महाराष्ट्र सरकार ने 60 लाख, झारखंड सरकार ने 12 लाख और मध्य प्रदेश ने 5 लाख का इनाम घोषित किया था. इसके अलावा आंध्र प्रदेश पुलिस ने 50 और ओडिशा पुलिस ने 20 लाख का इनाम घोषित किया था.

फिलहाल पुलिस के समक्ष बड़ी चुनौती जपन्ना और उसकी पत्नी रंजीता की सुरक्षा है. नक्सली दलम के कई शूटर उसे मार गिराने के लिए मौके की तलाश में हैं. जपन्ना के आत्मसमर्पण से बड़े नक्सली नेताओं के अपना स्थान बदलने की भी खबर है. बताया जा रहा है कि वारंगल में उसके आत्मसमर्पण की खबर ने बड़े नक्सली नेताओं की नींद उड़ा दी है.

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