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नक्सलियों के लिए काल बनी महाराष्ट्र पुलिस की C-60 कमांडो टीम

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस के साथ मुठभेड़ में 14 नक्सली मारे गए हैं. इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में प्रतिबंधित संगठन के दो जिला स्तरीय कमांडर साईनाथ और साइनयू शामिल हैं. पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर ने सी-60 की टीम को बधाई दी है.

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में हुई वारदात महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में हुई वारदात
मुकेश कुमार
  • मुंबई,
  • 22 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस के साथ मुठभेड़ में 14 नक्सली मारे गए हैं. इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में प्रतिबंधित संगठन के दो जिला स्तरीय कमांडर साईनाथ और साइनयू शामिल हैं. पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर ने सी-60 की टीम को बधाई दी है.

पुलिस महानिरीक्षक शरद शेलार ने कहा कि मुठभेड़ में 14 नक्सली मारे गए. तलाशी अभियान अब भी चल रहा है. पुलिस की विशेष लड़ाकू इकाई सी-60 के कमांडो की एक टीम ने रविवार की सुबह यहां से करीब 750 किलोमीटर दूर भामरगढ के तडगांव जंगल में अभियान शुरू किया.

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उन्होंने बताया कि इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में प्रतिबंधित संगठन के दो जिला स्तरीय कमांडर साईनाथ और साइनयू शामिल हैं. पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर ने सी-60 की टीम को बधाई दी है. हाल के दिनों में यह नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान है.

नक्सलियों के लिए काल बनी C-60 कमांडो टीम

नक्सली समस्या से देश के कई राज्य पीड़ित हैं, और वे अपने-अपने स्तर पर इस पर काबू पाने की कोशिशों में जुटे भी हैं. महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है. इन नक्सलियों से लड़ने और उन पर नकेल कसने के लिए महाराष्ट्र में एक खास तरह की फोर्स है, जिसके काम करने का अपना अलग ही अंदाज है.

C60 कमांडोज महाराष्ट्र पुलिस की खास फोर्स है जिसे वाम विचारधारा से जुड़े नक्सिलयों से लड़ने के लिए खास तरीके से प्रशिक्षित किया गया है. इंडिया टुडे ने इन कमांडोज के काम करने के तरीके और उनके अभियान पर होने के दौरान आने वाली दिक्कतों की पड़ताल की. एक कमांडो अपने अभियान पर निकलने के दौरान पीठ पर करीब 15 किलो वजन का सामान भी ढोता है.

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इस बैग में हथियार, खाना, पानी, रोजाना इस्तेमाल की चीजों के अलावा फर्स्ट एड जैसी जरूरी चीजें शामिल होती हैं. हर सुबह फोर्स खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर आगे की रणनीति बनाती है. उसी के आधार पर आसपास के क्षेत्र में अपनी योजना को अंजाम देते हैं. SDPO ऑपरेशंस के बारे में बालू पर मॉडल बनाकर अगली रणनीति की जानकारी देते हैं.

इसके बाद 2 ग्रुपों में 30-30 कमांडोज बंट जाते हैं, जिसमें से एक ग्रुप अपने पोस्ट से फ्रंट गेट से आगे बढ़ता है, जबकि दूसरा ग्रुप पीछे से निकलता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि क्षेत्र में कितने कमांडोज हैं, इसका पता न लग सके. दोनों टीमें अलग-अलग दिशा से जंगल में प्रवेश करती हैं और फिर करीब एक किलोमीटर अंदर जाकर मिल जाती हैं.

C60 कमांडोज पूरी तरह से अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं, गढ़चिरौली पुलिस के पास 4 स्पेशलिस्ट ड्रोन है, जिसके पास 4 हजार गुना हाई डिफिनेशन (HD) की इमेज रिजोल्यूशन की क्षमता है. इसका इस्तेमाल गश्त लगाने के दौरान जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए किया जाता है. ड्रोन बेहद धीमी आवाज में उड़ान भर सकता है, जिससे माओवादियों को पता न लगे और 500 मीटर ऊंचाई तक की तस्वीरें भी निकाल सकता है.

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