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मैक्स अस्पताल केस: जिंदा बचे दूसरे बच्चे की भी इलाज के दौरान मौत

दिल्ली के शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल में लापरवाही के बाद जिंदा बचे दूसरे बच्चे की भी इलाज के दौरान मौत हो गई. उसका अग्रवाल अस्पताल में इलाज चल रहा था.

मैक्स अस्पताल में लापरवाही का सनसनीखेज मामला मैक्स अस्पताल में लापरवाही का सनसनीखेज मामला
मुकेश कुमार/चिराग गोठी
  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

दिल्ली के शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल में लापरवाही के बाद जिंदा बचे दूसरे बच्चे की भी इलाज के दौरान मौत हो गई. उसका अग्रवाल अस्पताल में इलाज चल रहा था. वहीं, इस मामले में आरोपी डॉक्टरों पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. सोमवार की देर रात पुलिस ने आरोपी डॉक्टरों, नर्स और गार्ड से लंबी पूछताछ की है.

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पुलिस ने अस्पताल से सीसीटीवी का डीवीआर भी अपने कब्जे में ले लिया है. आरोपियों से दोबारा पूछताछ की जा सकती है. पुलिस ने मैक्स अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज करते हुए दो नोटिस भी दिए हैं. इस मामले में अस्पताल ने भी अपनी जांच शुरू कर दी है. इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक्सपर्ट भी शामिल हैं, जो जांच के बाद रिपोर्ट देंगे.

इससे पहले मैक्स अस्पताल ने कार्रवाई करते हुए आरोपी डॉ. एपी मेहता और डॉ. विशाल को बर्खास्त कर दिया. आरोपी डॉक्टरों ने एक जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर बैग में पैक कर परिवार वालों को दे दिया था. कुछ घंटे बाद हलचल होने के बाद जब बैग खोला गया, तो बच्चा जिंदा मिला था. इस बात को लेकर परिजन अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं.

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आरोपी डॉक्टरों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि न्याय मिलने के बाद ही वे हटेंगे. उधर, सोमवार की देर रात शालीमार बाग थाने में करीब 4 घंटे की पूछताछ के बाद आरोपी डॉ. एपी मेहता थाने से बाहर निकले. उनसे आरोपों के बारे में जानने की कोशिश की गई, लेकिन वो तेजी से कार में बैठकर निकल गए थे.

बताते चलें कि जिंदा बचे बच्चे का शालीमार बाग के अग्रवाल अस्पताल में भर्ती था. लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गया. दूसरी तरफ इस मामले में मैक्स अस्पताल ने दोनों डॉक्टरों को बर्खास्त जरूर कर दिया है, लेकिन अभी तक बच्चे के परिजन इंसाफ की गुहार लगाते हुए सर्द रात में भी अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं.

बच्चे के दादा कैलाश ने बताया कि उन लोगों ने पुलिस और अस्पताल प्रशासन को पुख्ता सबूत दिए हैं. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए. उनको कड़ी से कड़ी सजा दी जाने चाहिए. जब तक हमें ठोस न्याय नहीं मिलेगा, तब तक हम अस्पताल के सामने धरने पर बैठे रहेंगे.

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