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राजधानी दिल्ली में आतंकी हमले का खतरा मंडरा रहा है. दिल्ली एयरपोर्ट से खूंखार हिजबुल आतंकी अंसार उल हक की गिरफ्तारी के बीच दो और आतंकियों के दिल्ली में दाखिल होने की सूचना ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है.
गिरफ्तार आतंकी अंसार के बारे में अब एक नई साजिश का खुलासा हुआ है. 28 अक्टूबर को कश्मीर के पुलवामा में सीआईडी के जांबाज सब इंस्पेक्टर की हत्या के लिए इस आतंकी ने अपनी गर्लफ्रेंड सईदा का सहारा लिया था. सब इंस्पेक्टर इम्तियाज को उसने पहले हनी ट्रैप में फंसाया. सईदा ने सब इंस्पेक्टर से नजदीकी बढ़ाते हुए उनसे दोस्ती की.
बहाने से कार में बैठी थी आतंकी की गर्लफ्रेंड
28 अक्टूबर को सईदा ने इम्तियाज मीर से मुलाकात की थी. उसी दिन सब इंस्पेक्टर अपने घर पुलवामा जा रहे थे. मीर लंबे अरसे बाद माता-पिता से मिलने वाले थे. तय प्लान के मुताबिक सईद सैका ने इम्तियाज को फोन किया और बताया कि उसे भी पुलवामा जाना है. आतंकियों से मिली धमकियों के बाद भी मीर ने अपनी दोस्त को कार में बैठा लिया.
आतंकियों को भेजती रही पल-पल की लोकेशन
मीर को रत्ती भर भी भनक नहीं थी कि उनके साथ बैठी लड़की आतंकी अंसार की गर्लफ्रेंड है और वो हत्या की खौफनाक साजिश का हिस्सा है. आतंकी की वो गर्लफ्रेंड मीर से जुड़ी पल-पल की जानकारी वाया अंसार उल रजा हिजबुल आतंकियों तक पहुंचाती रही. हत्या की साजिश में उस गर्लफ्रेंड ने आतंकियों की गाइड की भूमिका निभाई और दहशतगर्द अपने मकसद में कामयाब हो गए.
आतंक फैलाने वाले वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़ा था
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार अंसार उल हक एक वाट्सएप ग्रुप से जुड़ा था. उस ग्रुप का नाम था टिकन-11. उस वॉट्सऐप ग्रुप में पुलिस पर्सनल और आर्मी अफसरों के खिलाफ पोस्ट किए जाते थे और कहा जाता था कि पुलिस, इंटेलिजेंस और आर्मी के लोग काम छोड़ दें या मरने के लिए तैयार रहें. वॉट्सऐप ग्रुप से ही प्रभावित होकर अंसार ने सब इंस्पेक्टर की हत्या की थी. सब इंस्पेक्टर को पहले धमकी भी दी गई थी. सब इंस्पेक्टर के पिता भी पुलिस में थे. सब इंस्पेक्टर को आतंकवादियों के बारे में सटीक जानकारी मिलती थी. इसलिए वे आतंकवादियों की आंखों की किरकिरी बने हुए थे.
अंग्रेजी से एमए है आतंकी
आतंकी अंसार उल हक की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों को सांसत में डाल दिया है. अंसार उल हक का अच्छा खास सेब का कारोबार था. वह अंग्रेजी से एम कर चुका है, लेकिन फिर उसने आतंक का रास्ता पकड़ा. ये एक तरह से पाकिस्तानी साजिश की कामयाबी है, जहां से मजहब के नाम पर दहशतगर्द बनाने का खेल खेला जाता है.