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श्री लालमहल लिमिटेड और महालक्ष्मी ज्वैलर्स के फर्जीवाड़े का खुलासा करने के बाद खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआई) की टीम अन्य निर्यातक कंपनियों की भी जांच कर रही है. शुरुआती जांच में खुलासा हुआ कि कथित कंपनियों ने नकली ज्वैलरी के जरिए करोड़ों के कालेधन को खपाया था.
जांच एजेंसी के मुताबिक, नोएडा विशेष आर्थिक जोन में स्थित सोने की ज्वैलरी निर्यातक कंपनियों ने विदेश से ज्वैलरी का आर्डर लिया. इस आर्डर के आधार पर विदेश से सोना खरीदा गया. साथ ही कुछ डमी फर्म बनाकर भारत के धातु और खनिज व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी) के माध्यम से सोना खरीद लिया गया.
नोटबंदी के बाद इस सोने को भारतीय बाजार में भारी मुनाफे पर बेच दिया गया. सोना बेचने से मिले 1000 और 500 के पुराने नोट को बैंक में जमा कर दिया गया. इन नोटों को विदेशी ज्वैलरी की खरीददार कंपनी का दिखाकर जमा किया गया. साथ ही कुछ नोट डमी फर्म के माध्यम से भी बैंकों में जमा किए गए.
ज्वैलरी का आर्डर करने वाली विदेशी कंपनी को तांबे पर सोने की पॉलिश कराई ज्वैलरी भेज दी गई. जांच में ज्वैलरी नकली पाए जाने पर विदेशी कंपनी ने आर्डर निरस्त कर दिया. आर्डर निरस्त होने पर नोएडा में स्थापित कंपनियों ने पेनाल्टी समेत एडवांस पैसा वापस कर दिया. इस मामूली नुकसान के जरिए कंपनियों ने भारी मुनाफा कमा लिया.
आयकर विभाग और सीबीआई लगातार जांच में डीआरआई की मदद कर रही हैं. श्री लालमहल लिमिटेड से 430 किलो सोना खरीदने वालों की तलाश की जा रही है. डीआरआई सोना खरीदने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है. बता दें कि श्री लालमहल कंपनी से संबंधित जांच डीआरआई लखनऊ की टीम कर रही है.
गौरतलब है कि 19 दिसंबर को दिल्ली डीआरआई टीम ने सोना निर्यातक कंपनी महालक्ष्मी ज्वैलर्स पर छापा मारा था. छापेमारी में 150 किलो सोने को भारतीय बाजार में खपाने का पर्दाफाश हुआ था. वहीं 22-23 दिसंबर को डीआरआई ने श्री लालमहल लिमिटेड के दिल्ली और नोएडा स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी में 430 किलो सोने को भारतीय बाजार में खपाने का पर्दाफाश हुआ था। इस मामले की जांच डीआरआई लखनऊ की टीम कर रही है.