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बेटे की तलाश में डॉक्टर के घर पहुंचे पिता, तब खुला कत्ल का राज

Hoshangabad Driver murder conspiracy 55 साल के हत्यारोपी डॉक्टर सुनील मंत्री ने प्लान बनाया था कि लाश के टुकड़ों को पहले एसिड में जला देगा फिर अवेशष तेजाब समेत किसी नाले में बहा देगा.

पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया है (फोटो- आजतक) पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया है (फोटो- आजतक)
परवेज़ सागर
  • होशंगाबाद,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में आरोपी डॉक्टर की काली करतूत सामने नहीं आती अगर ड्राइवर वीरेंद्र के पिता उसे तलाश करते हुए डॉक्टर के घर नहीं पहुंचते. पुलिस के अनुसार किसी ने पुलिस को कॉल करके बताया था कि डॉक्टर सुनील का किसी के साथ झगड़ा हो रहा है. पुलिस सूचना के आधार पर वहां पहुंची तो मृतक के पिता ने पुलिस से कहा कि वो अपने बेटे को तलाश कर रहे हैं. डॉक्टर के घर की तलाशी होनी चाहिए. तब जाकर हत्या का ये मामला खुला.

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55 साल के हत्यारोपी डॉक्टर सुनील मंत्री ने प्लान बनाया था कि लाश के टुकड़ों को पहले एसिड में जला देगा फिर अवेशष तेजाब समेत किसी नाले में बहा देगा. लेकिन वीरेंद्र की पिता की वजह से उसका प्लान धरा का धरा रह गया. आरोपी डॉक्टर सुनील इटारसी के सरकारी अस्पताल में तैनात है. वह हड्डी रोग विशेषज्ञ है. उसने सोमवार को आनंदनगर में अपने घर में ही 30 वर्षीय ड्राइवर वीरेंद्र पचौरी उर्फ वीरू का मर्डर किया था.

वहीं उसने लाश के कई छोटे छोटे टुकड़े दिए थे. फिर उन्हें गलाने के लिए तेजाब भरे ड्रम में डाल दिया था. पुलिस का कहना है कि कत्ल की ये वारदात अवैध संबंधों की वजह से की गई. आरोप है कि वीरेंद्र की पत्नी के डॉक्टर सुनील के साथ अवैध संबंध थे. जब ये बात वीरेंद्र को पता चला तो उसने डॉक्टर को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. ये सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा. उसी से परेशान होकर डॉक्टर ने कत्ल की ऐसी खौफनाक साजिश रची कि पेशेवर कातिल भी घबरा जाएं.

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डॉक्टर मर्डर का पूरा प्लान बना चुका था. उसने दो दिनों तक बाजार से तेजाब की एक-एक लीटर वाली कई बोतलें खरीदी. फिर वो लोहे की चार आरियां भी खरीद कर लाया. वीरेंद्र को रास्ते से हटाने के लिए उसे पास लाना ज़रूरी था. लिहाजा डॉक्टर ने उसे 3 फरवरी को अपना यहां ड्राइवर रख लिया. फिर 4 फरवरी के दिन जब वीरेंद्र के दांत में दर्द हुआ तो डॉक्टर सुनील ने इलाज के बहाने उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया.

बस यहीं से उसने अपनी खूनी साजिश को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया. पहले उसने आरी से वीरेंद्र की गर्दन काटकर धड़ से अलग कर दी. फिर अपने बाथरूम में उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. उस सभी टुकड़ों को डॉक्टर ने तेजाब से भरे एक ड्रम में डाल दिया. डॉक्टर होने के नाते उसे पता था कि इंसान का शरीर कैसे गलता है. कैसे हड्डियां कटती हैं. लिहाजा उसने बड़े सलीके से इस वारदात को अंजाम दिया.

लेकिन कहते हैं ना गुनाह कभी छुपता नहीं. इसी दौरान जब वीरेंद्र अपने घर नहीं पहुंचा तो उसके पिता उसे तलाशते हुए वहां जा पहुंचे और कत्ल की इस वारदात का पर्दाफाश हो गया.

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