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राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी श्रीहरन ने महिला आयोग को लिखा खत

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी श्रीहरन ने एक बार फिर राष्ट्रीय महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है. नलिनी ने जेल में 25 साल पूरे करने पर एक बार फिर महिला आयोग को चिट्ठी लिखकर रिहाई की मांग की है.

नलिनी श्रीहरन नलिनी श्रीहरन
प्रमोद माधव/राहुल सिंह
  • वेल्लोर,
  • 23 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी श्रीहरन ने एक बार फिर राष्ट्रीय महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है. नलिनी ने जेल में 25 साल पूरे करने पर एक बार फिर महिला आयोग को चिट्ठी लिखकर रिहाई की मांग की है.

हत्याकांड की दोषी नलिनी श्रीहरन ने 22 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला आयोग को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने 25 साल की सजा का हवाला देते हुए अपनी रिहाई की मांग की. नलिनी ने चिट्ठी में विदेश में रह रही अपनी बेटी से भी मिलने की ख्वाहिश जताई.

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नलिनी ने चिट्ठी में दूसरी महिलाओं की रिहाई का भी जिक्र किया है. नलिनी ने लिखा है, 'जब वह दूसरी महिलाओं को खास मौकों पर रिहा होते हुए देखती है तो उसका भी मन करता है कि वह खुली हवा में सांस ले सके. मेरा हर दिन आंसुओं के बीच बीतता है. मैं ऐसी जिंदगी से तंग आ चुकी हूं.'

बता दें कि पिछले दो महीनों में नलिनी श्रीहरन ने दूसरी बार महिला आयोग को चिट्टी लिखी है. गौरतलब है, नलिनी देश की पहली ऐसी महिला है, जिसने सजा के तौर पर जेल में 25 साल पूरे किए हैं. फिलहाल नलिनी को महिला आयोग के जवाब का इंतजार है.

जयललिता ने दिया था रिहाई का सुझाव
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था. पत्र में लिखा गया था कि दोषियों ने 24 साल से ज्यादा सजा काट ली है. मानवीय आधार पर इन तथ्यों को देखते हुए अब सभी दोषियों को रिहा कर देना चाहिए. हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उस दौरान लोकसभा में कहा था कि सरकार पत्र पर गौर कर रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है.

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SC ने लगाई थी जयललिता सरकार के आदेश पर रोक
तमिलनाडु सरकार ने इन चारों दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेगी. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को इस बारे में फैसला लेने का अधि‍कार नहीं है.

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