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नरोदा पाटिया दंगे में माया कोडनानी बरी, पक्ष में गए ये 5 तथ्य

नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी बरी नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी बरी
आशुतोष कुमार मौर्य/कमलेश सुतार
  • अहमदाबाद,
  • 20 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

गुजरात में 2002 में हुए जनसंहार मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है. माया कोडनानी पर अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में दंगा भड़काने का आरोप था. माया कोडनानी के खिलाफ कोर्ट में 11 चश्मदीदों के अलावा और भी कई सुबूत थे, लेकिन ये 10 तथ्य उन्हें निर्दोष साबित करने में अहम रहे.

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1. जांच की टीम का बयान

माया कोडनानी के खिलाफ 11 चश्मदीदों ने गवाही दी थी. इन 11 चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने दंगों के दौरान माया कोडनानी को नरोदा पाटिया में देखा था. लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की जांच कर रही पुलिस की गवाही को सच माना. पुलिस का कहना है कि दंगों के दौरान माया कोडनानी के इलाके में रहने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं.

2. चश्मदीदों के विरोधाभासी बयान

मामले में सरकारी वकील आरसी कावडेकर और गौरंग व्यास ने बताया कि माया कोडनानी को चश्मदीदों के विरोधभासी बयान का फायदा मिला. इतना ही नहीं चश्मदीदों के बयान लगातार बदल रहे थे, इससे उनकी गवाही विश्वसनीय साबित नहीं हो सकी.

3. एक भी गवाह निष्पक्ष नहीं

नरोदा पाटिया दंगा मामले में ट्रायल कोर्ट ने चश्मदीदों के बयान को सच माना था. जबकि हाईकोर्ट ने बयानों के साबित न होने के चलते इन पर विश्वास नहीं किया. इतना ही नहीं माया कोडनानी के खिलाफ एक भी निष्पक्ष गवाह नहीं था.

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4. दंगे के 6 साल बाद जुड़ा नाम

गुजरात दंगे 2002 में हुए. उसके बाद कोर्ट में मामला गया तो शुरू में माया कोडनानी को अभियुक्त नहीं बनाया गया. इस बीच मीडिया की तरफ से किए गए स्टिंग भी कोर्ट में पेश किए गए. पूरे 6 साल बाद माया कोडनानी को अभियुक्त बनाया, जिसके चलते मार्च, 2009 में उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा.

5. अमित शाह का बयान

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह भी कोर्ट के सामने माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दे चुके हैं. अमित शाह ने कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा था कि दंगों के दौरान माया कोडनानी गुजरात विधानसभा भवन में मौजूद थीं.

इसके अलावा हाई कोर्ट ने माया कोडनानी को बरी करने का फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के 2 विटनेस थ्योरी को भी ध्यान में रखा.

गौरतलब है कि माया कोडनानी के अलावा गणपत निदावाला और विक्रम छारा को भी बरी कर दिया गया है, जबकि बाबू बजरंगी सहित 8 लोगों को सजा सुनाई गई है. अन्य आरोपियों के खिलाफ भी आज ही फैसला आएगा.

16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा जनसंहार हुआ था. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था. आपको बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें 33 लोग जख्मी भी हुए थे.

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