Advertisement

'बेटी बचाओ' अभियान वाले हरियाणा में हर दिन लुटती है 4 महिलाओं की इज्जत, दिल्ली का है ऐसा हाल

हरियाणा के भिवानी से 2015 में देशभर में शुरू हुए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की जमीनी हकीकत पर से हरियाणा पुलिस के महिलाओं के खिलाफ अपराध (सीएडब्ल्यू) सेल और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने पर्दा उठाया है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के चौंका देने वाले आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के चौंका देने वाले आंकड़े
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

हरियाणा के भिवानी से 2015 में देशभर में शुरू हुए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की जमीनी हकीकत पर से हरियाणा पुलिस के महिलाओं के खिलाफ अपराध (सीएडब्ल्यू) सेल और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने पर्दा उठाया है. एनसीआरबी द्वारा जारी 2016 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चियों के साथ अपराधों में मेट्रो शहरों में जहां दिल्ली को शीर्ष स्थान दिया गया है, वहीं गैंगरेप के मामलों में हरियाणा अव्वल रहा.

Advertisement

हरियाणा राज्य में 2011 की जनगणना के मुताबिक, प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 879 थी. सीएडब्ल्यू सेल द्वारा 2017 के अंत में जारी किए गए आंकड़ों ने महिलाओं की स्थिति की जमीनी हकीकत खोल कर रख दी है. आंकड़ों के मुताबिक, 2017 के एक जनवरी से 30 नवंबर के बीच राज्य में 1,238 महिलाओं के साथ रेप के मामले दर्ज किए गए. यानी राज्य में प्रत्येक दिन कम से कम चार महिलाओं के साथ रेप हुए.

इसके अलावा समान समयावधि में महिला उत्पीड़न के 2,089 मामले दर्ज हुए. हरियाणा पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस समयावधि में महिलाओं के साथ अपराधों के कुल 9,523 मामले दर्ज हुए. इससे रेप और उत्पीड़न को हटा दिया जाए तो 2,432 मामले महिलाओं और लड़कियों के अपहरण के दर्ज किए गए और 3,010 महिलाएं दहेज उत्पीड़न का शिकार हुईं. इससे अधिक भयावह तो यौन उत्पीड़न के आंकड़े हैं.

Advertisement

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 के दौरान हरियाणा में गैंगरेप के 191 मामले दर्ज किए गए, जो देश के सबसे बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से कहीं ज्यादा हैं. वहीं तमिलनाडु में केवल तीन और केरल में गैंगरेप के 19 मामले दर्ज किए गए. पुलिस महानिरीक्षक (महिलाओं के खिलाफ अपराध) ममता सिंह भी पुलिस विभाग द्वारा जारी आंकड़ों की पुष्टि कर चुकी हैं, जिससे सूबे भर में सनसनी है.

हरियाणा में महिलाओं पर बढ़ते अपराध पर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा में खट्टर सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार कैसी गंभीर होगी, जब उनकी सरकार के ही मंत्री का बेटा खुलेआम महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करेगा तो राज्य की जनता में कहां कानून का खौफ रहेगा. हरियाणा महिलाओं की सुरक्षा में फिसड्डी साबित हुआ है. यहां लैंगिक असामनता देश में सबसे अधिक है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2016 के आंकड़ें अन्य राज्यों की अलग-अलग कहानी बयां करते हैं. साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 3,29,243 थी, जो 2016 में 2.9 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 3,38,954 हो गई. इन मामलों में पति और रिश्तेदारों की क्रूरता के 1,10,378 मामले, महिलाओं पर जानबूझकर किए गए हमलों की संख्या 84,746, अपहरण के 64,519 और दुष्कर्म के 38,947 मामले दर्ज हुए हैं.

Advertisement

साल 2016 के दौरान कुल 3,29,243 दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 49,262, दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल में 32,513 मामले, तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश 21, 755 मामले , चौथे नंबर पर राजस्थान 13,811 मामले और पांचवे स्थान पर बिहार है, जहां 5,496 मामले दर्ज हुए. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अपराध की राष्ट्रीय औसत 55.2 फीसदी की तुलना में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उच्चतम अपराध दर 160.4 रही.

मेट्रो शहरों में महिलाओं के साथ अपराधों की सूची में दिल्ली शीर्ष पर है, जहां कुल 41,761 दर्ज हुए. इसमें 1.8 फीसदी की वृद्धि देखी गई. 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 41,001 थी. 2016 के दौरान पति और रिश्तेदारों की क्रूरता के 12,218 (दिल्ली 3,645 मामले), महिलाओं पर जानबूझकर किए गए हमलों की संख्या 10,458 (दिल्ली 3,746), अपहरण के 9,256 (दिल्ली 3,364) और रेप के 4,935 (दिल्ली 1,996) मामले दर्ज किए गए.

इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने बताया कि दिल्ली में महिलाएं क्या, बच्चियां भी सुरक्षित नहीं हैं. इसी कारण मैं दिल्ली की सड़कों पर उतरी हूं. पिछले 34 दिनों से मैं घर नहीं गई क्यों? क्योंकि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. विशेषकर दिल्ली में तो और भी बुरा हाल है. एनसीआरबी के आंकड़ें झूठे नहीं हो सकते हैं. यह आंकड़े गवाह हैं कि देशभर में महिलाओं के प्रति अपराधों में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement