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भारत के नक्सली कैंप में नेपाली PM ने ली थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग

झारखंड की राजधानी रांची में सरेंडर करने वाले कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन ने खुलासा किया है कि साल 2000 में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड के साथ उसने झुमरा पहाड़ पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी. 15 लाख के इनामी नक्सली कमांडर कुंदन पाहन ने रविवार को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. उस पर 128 से अधिक मामले दर्ज हैं.

नेपाली प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाली प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मुकेश कुमार
  • रांची,
  • 15 मई 2017,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

झारखंड की राजधानी रांची में सरेंडर करने वाले कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन ने खुलासा किया है कि साल 2000 में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड के साथ उसने झुमरा पहाड़ पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी. 15 लाख के इनामी नक्सली कमांडर कुंदन पाहन ने रविवार को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. उस पर 128 से अधिक मामले दर्ज हैं.

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दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, कुंदन और प्रचंड हथियार चलाने की ट्रेनिंग वेस्ट बंगाल के शीर्ष माओवादी नेता मनीष दा ने दिया था. इसमें प्रचंड के साथ लगभग 20 अन्य लोग थे. प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ-साथ नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के सशस्त्र अंग जनमुक्ति सेना के शीर्ष नेता हैं. सरेंडर के बाद पुलिस ने पाहन को 15 लाख का चेक सौंपा.

खूंखार नक्सल कमांडर था कुंदन
बताया जाता है कि कुंदन पाहन ने साल 2000 में नक्सली संगठन ज्वाइन किया था. उसने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है. वह इतना कुख्यात हो चुका था कि केंद्रीय गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम की डायरी में झारखंड के इस नक्सली का नाम था. माओवादियों के बीच वह सबसे खूंखार कमांडर माना जाता था. उसके खिलाफ 50 केस खूंटी और 42 रांची में दर्ज है.

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4 साल पहले छोड़ा नक्सल संगठन
कभी संगठन के लिए झोला ढोने का काम शुरू करने के कुछ ही सालों के भीतर पाहन रीजनल कमेटी के सचिव के पद पर पहुंच गया. लेकिन उसने करीब चार साल पहले विवादों के कारण संगठन छोड़ दिया था. उसे अहसास हुआ कि संगठन में शीर्ष नेता तानाशाही रवैया अपनाते हैं. नीचे कैडर के लोगों का शोषण करते हैं. इसके बाद वो संगठन से अलग हो गया.

पेन ड्राइव में मौजूद हैं कई राज
कुंदन पाहन लैपटॉप चलाना जानता है. इंटरनेट भी इस्तेमाल करता है. अंग्रेजी बोल लेता है. उसके पास एक पेन ड्राइव है, जिसमें सारी चीजों का विस्तार से ब्योरा है. इनमें नक्सलियों के विदेशी लिंक, नेताओं से संपर्क, लेवी वसूलने के डिटेल्स, कहां कितने पैसे खर्च हुए, हथियारों में कितना पैसा लगा, मददगारों की सूची और उनके फोन नंबर मौजूद हैं.

 

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