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मनसुख हिरेन कत्ल: कई किरदारों के चेहरे से नकाब हटना बाकी, सरगर्मी से तलाश रही है NIA

NIA के सूत्रों ने बताया है कि मनसुख हत्याकांड में और भी लोग शामिल हैं जिनकी उसे तलाश है. NIA अभी तक इन लोगों की पकड़ नहीं सकी है लेकिन जल्द ही NIA उन तक पहुंचने वाली है.

NIA ने जांच शुरू कर दी है (फाइल फोटो) NIA ने जांच शुरू कर दी है (फाइल फोटो)
अरविंद ओझा
  • मुंबई ,
  • 27 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST
  • सचिन वाजे, विनायक शिंदे और नरेश की गिरफ्तारी
  • NIA और ATS ने कहा है साजिश में और भी लोग शामिल
  • NIA ने तीनों आरोपियों को सामने बिठाकर की पूछताछ

मनसुख हिरेन हत्याकांड मामले में जांच अहम मुकाम पर पहुंच चुका है और ये लगभग स्पष्ट हो गया है कि उसकी किसी और ने नहीं बल्कि सचिन वाजे ने करवाई है और वो हत्या के समय खुद भी मौजूद था. इस मामले में अब NIA सूत्रों ने बताया है कि मनसुख हत्याकांड में और भी लोग शामिल हैं जिनकी NIA को तलाश है. NIA अभी तक इन लोगों की पकड़ नहीं कर सकी है लेकिन जल्द ही उन गुनहगारों तोक अपनी पहुंच बनाने वाली है.

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NIA के सूत्रों के मुताबिक NIA ने सचिन वाजे और हाल ही में गिरफ्तार बुकी नरेश और मुंबई पुलिस के पूर्व कांस्टेबल विनायक शिंदे को आमने- सामने बैठाकर दो बार पूछताछ की है. अभी आगे भी तीनों आरोपियों को आमने सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी.

आपको बता दें कि इसी तरह महाराष्ट्र एटीएस ने भी दावा किया है कि मनसुख की हत्या करने में इन तीनों यानी सचिन वाजे, विनायक शिंदे और बुकी नरेश के अलावा अन्य कई लोग भी शामिल हैं. ATS ने तो पूरा मामला सुलझा लेने की बात कही है. ATS ने दावा किया है कि उसने मनसुख मामले की अलग-अलग कड़ियों को जोड़कर इस पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया है.

ATS के मुताबिक खुद सचिन वाजे ने मनसुख हिरेन को कॉल किया था. और जिस वक्त कार में मनसुख की हत्या की गई थी उस वक्त भी वो मौजूद था. ATS ने बताया है कि मनसुख को पहले रूमाल में क्लोरोफिल सुंघाकर बेहोश किया गया. जब मनसुख को इस बात की भनक लगी तो उसने इसका विरोध करने की कोशिश की. इस कारण हुई हाथापाईं में उसके चेहरे पर चोट के निशान आ गए. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है कि मनसुख के चेहरे पर जो चोट लगी है वो उसके जिंदा होने के समय की है.

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ATS की इस कहानी से मनसुख के पास से मिले रुमालों की गुत्थी भी सुलझ जाती है, ATS के मुताबिक रुमालों का उपयोग मनसुख के हाथ-पैर बांधने के लिए नहीं बल्कि उसे क्लोरोफिल सुंघाने के लिए किया गया था.

 

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