Advertisement

वो बड़े मामले, जिनकी वजह से सुर्खियों में रही National Investigation Agency

National Investigation Agency राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की स्थापना भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए की गई थी. यह एक संघीय जांच एजेंसी है.

NIA कई मामलों को लेकर चर्चाओं में रही है (फाइल फोटो) NIA कई मामलों को लेकर चर्चाओं में रही है (फाइल फोटो)
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:33 AM IST

देश में नए आईएसआईएस मॉडयूल का खुलासा करने के बाद एक बार फिर National Investigation Agency राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सुर्खियों में आ गई है. एनआईए की टीम ने यूपी एटीएस और दिल्ली के साथ मिलकर इस नए गैंग का पर्दाफाश किया है. जो कई स्थानों पर धमाके करने की तैयारी में था. NIA का यह कोई पहला मामला नहीं है. अपनी स्थापना के बाद से एनआईए ने कई मामलों में तेजी से कार्रवाई की और जिसकी वजह से एजेंसी चर्चाओं में रही.

Advertisement

क्या है एनआईए

National Investigation Agency राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की स्थापना भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए की गई थी. यह एक संघीय जांच एजेंसी है. यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है. इस एजेंसी को राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए विशेष अधिकार प्राप्त हैं. यह एजेंसी 31 दिसम्बर 2008 को भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ ही अस्तित्व में आ गई थी.

दरअसल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्थापना 2008 में मुंबई हमले के बाद की गई थी. क्योंकि मुंबई हमले के बाद ही आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस की गई थी. इसके संस्थापक महानिदेशक राधा विनोद राजू थे. जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2010 को समाप्त हो गया था. इनके बाद शरद चंद्र सिन्हा ने कार्यभार संभाला था. वर्तमान में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी योगेश चंद्र मोदी, एनआईए के महानिदेशक हैं. हम आपको बताने जा रहे हैं एनआईए के कुछ चर्चित मामले-

Advertisement

मक्का मस्जिद ब्लास्ट

18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि कई लोग घायल हुए थे. पहले इस मामले की जांच सीबीआई कर रही थी लेकिन बाद में जांच एनआईए को सौंप दी गई थी. लंबी जांच के बाद एनआईए की विशेष अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देकर विस्फोट के अहम आरोपी असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. अदालत ने कहा था कि NIA कोर्ट में इन आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं रख पाई. इस धमाके के बाद ही भगवा आतंक और 'हिंदू आतंकी जैसे नाम चर्चिओं में आए थे.

अजमेर शरीफ दरगाह ब्लास्ट

राजस्थान के अजमेर में प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को प्रेशर कूकर बम से ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 3 जायरीनों की मौत हो गई थी. जबकि 15 जायरीन घायल हुए थे. विस्फोट के बाद पुलिस को तलाशी के दौरान लावारिस बैग मिला था, जिसमें टाइमर लगा जिंदा बम मिला था. इसके बाद इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई. एनआईए ने अपनी जांच में कुल 13 लोगों को धमाके का दोषी पाया था. जिसमें स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, मुकेश वासनानी, लोकेश शर्मा, हर्षद भारत, मोहन रातिश्वर, संदीप डांगे, रामचंद कलसारा, भवेश पटेल, सुरेश नायर और मेहुल आरोपी थे. एक आरोपी सुनील जोशी की हत्या कर दी गई थी. वहीं संदीप डांगे और रामचंद कलसारा अभी तक गायब हैं.

Advertisement

हैदराबाद सीरियल ब्लास्ट

2007 में हैदराबाद शहर एक बाद एक दो बम धमाकों से दहल गया था. ये धमाके गोकुल चाट और लुंबिनी पार्क में हुए थे. जिनमें 42 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 50 लोग घायल हुए थे. इन मामलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच के बाद स्पेशल कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी करार दिया था. जबकि दो को बरी कर दिया था. कोर्ट ने अनीक शफीक सैयद और इस्माइल चौधरी को दोषी माना था. इस मामले में एक अन्य दोषी को बाद में सजा सुनाई गई थी. कुल मिलाकर 5 में से तीन आरोपी दोषी साबित हुए थे.

आतंकी अबू जिंदाल की गिरफ्तारी

मुंबई हमले के आरोपी सैयद जबीउद्दीन उर्फ अबू जिंदाल के खिलाफ 8 जून को 2012 को आतंकी हमले की साजिश रचने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उसकी गिरफ्तारी एनआईए के लिए काफी अहम रही. अबू जिंदाल को इंदिरा गांधी हवाई अड्डे से बीते 21 जून 2012 को गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त एनआईए ने दिल्ली की एक अदालत से देश में आतंकी हमले करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा की ओर से रची गई साजिश को बेनकाब करने के लिए अबू जिंदाल को हिरासत में मांगा था. लेकिन पहली बार में उन्हें कामयाबी नहीं मिली. लेकिन बाद में एनआईए ने उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी.

Advertisement

यासीन भटकल की गिरफ्तारी

दिल्ली समेत मुंबई और पुणे ब्लास्ट में आरोपी यासीन भटकल को एनआईए ने मोस्ट वांटेड घोषित किया था. उसके ऊपर 10 लाख रुपये का ईनाम था. भटकल का जन्म 15 जनवरी 1983 को कर्नाटक के भटकल थाना इलाके के मकदूम कॉलोनी में हुआ था. उसे करीब 1 दर्जन नामों से जाना जाता है. यासीन भटकल और रियाज भटकल इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करते थे. उसे अगस्त 2013 में बिहार-नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था. यासीन भटकल के साथ असुदुल्लाह अख्तर नाम का एक शख्स भी गिरफ्तार किया गया था. जो एक आईडी एक्सपर्ट था. 30 वर्षीय यासीन भटकल आईएम के संस्थापक सदस्यों में से एक है. 2013 में हैदराबाद के दिलसुखनगर ब्लास्ट का मामला हो या फिर पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट केस, इस आतंकी पर 10 से ज्यादा आतंकी घटनाओं को अंजाम देने का आरोप था.

केरल लव जिहाद

केरल में हिंदू लड़कियों से शादी करने वाले कई लड़कों पर लव जिहाद के आरोप लगे थे. कहा जा रहा था कि मुस्लिम लड़कों से शादी के बाद लड़कियों ने धर्म परिवर्तन कर लिया. इसे एक साज़िश करार दिया गया था. जब ऐसे मामलों को लेकर ज्यादा बवाल हुआ तो इन मामलों की जांच एनआईए को सौंपी गई थी. लेकिन ज्यादातर मामलों में एनआईए के हाथ लव जिहाद जैसा कुछ भी नहीं लगा. बताया जाता है कि उन सभी मामलों को एनआईए ने बंद कर दिया.

Advertisement

निरंकारी सत्संग पर हमला

पंजाब के अमृतसर जिले के राजसांसी इलाके में इसी साल 18 नवंबर को निरंकारी सत्संग में ग्रेनेड अटैक हुआ. इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 20 अन्य घायल हुए थे. यह ग्रेनेड हमला अमृतसर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित आदिलवाल गांव में निरंकारी पंथ के सत्संग भवन में हुआ था. इस हमले की जांच एनआईए कर रही है. जिसमें साजिश की परतें खुलती जा रही हैं. सूत्रों की मानें तो हमले के पीछे खालिस्तानी समर्थकों का हाथ है, जिन्होंने लोकल लड़कों को बहकाकर इस हमले को अंजाम दिया. इसमें आईएसआई कनेक्शन भी सामने आ रहा है. एनआईए की टीम इस मामले में छानबीन में जुटी है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement