
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और कांकेर जिले में नौ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. पुलिस इसे बड़ी सफलता मान रही है. पुलिस सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सहयोग करेगी.
बस्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र के सुकमा जिले में सात और कांकेर जिले में दो नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. सुकमा पुलिस ने बताया कि सबरीनगर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 226वीं बटालियन के दफ्तर में दुधी हिड़मा, दुधी वारे, कुंजामी सन्ना, सुरेश मंडावी, हिड़मा कवासी, ईश्वर मंडावी और मुचाकी बुधरा नामक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक नक्सली हिड़मा, वारे, सन्ना और मंडावी जनमिलिशिया सदस्य के रूप में काम कर रहे थे जबकि तीन अन्य नक्सली दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन के सदस्य थे. इन नक्सलियों के खिलाफ सड़कों को नुकसान पहुंचाने, स्कूलों को नुकसान पहुंचाने और मोबाइल टावरों को क्षतिग्रस्त करने के आरोप हैं.
सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों ने बताया कि वे नक्सलियों की विचारधारा से परेशान होकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं. वहीं आंदोलन के बड़े नेता उनका शोषण करते हैं. आत्मसमर्पित नक्सलियों को सरकारी की और से दस-दस हजार रूपये की सहायता राशि दी गई.
उधर, कांकेर जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कांकेर में सीमा सुरक्षा बल की 122वीं बटालियन के दफ्तर में उमेश वेडदा और प्रदीप सोरी नामक दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. उमेश नक्सलियों के प्रतापपुर एरिया कमेटी की जनसंपर्क शाखा में काम करता था. इसके सिर पर पांच हजार रूपए का ईनाम भी घोषित है.
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को राज्य शासन की समर्पण नीति के तहत मदद की जाएगी. उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे.