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निर्भया केस: दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर SC का फैसला सुरक्षित

सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने तीनों की गरीबी का हवाला देते हुए कहा कि ये मामला फांसी की सजा का नहीं है. उनके वकील ने कोर्ट से कहा कि वे गरीब पृष्ठभूमि से हैं और वे आदतन अपराधी नहीं हैं.

निर्भया के दोषी मांग रहे मौत की सजा से मुक्ति निर्भया के दोषी मांग रहे मौत की सजा से मुक्ति
संजय शर्मा/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2018,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात पैरामेडिक्स की स्टूडेंट के साथ चलती बस में गैंगरेप और बर्बर तरीके से हत्या के मामले में फांसी की सजा पा चुके तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया. दोषियों में पवन, विनय और मुकेश ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी.

सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने तीनों की गरीबी का हवाला देते हुए कहा कि ये मामला फांसी की सजा का नहीं है. उनके वकील ने कोर्ट से कहा कि वे गरीब पृष्ठभूमि से हैं और वे आदतन अपराधी नहीं हैं. उन्हें सुधरने का मौका मिलना चाहिए.

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दिल्ली पुलिस ने दोषियों के वकील के इन तर्कों का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट पहले ही इन दलीलों को ठुकरा चुका है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को सुधरने का मौका देने के सवाल पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब किया है.

निर्भया केस में एक अन्य दोषी अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है. अक्षय के वकील ने कोर्ट से कहा कि वो तीन हफ्ते में अपनी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे. विनय और पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी पृष्ठभूमि और सामाजिक आर्थिक हालात को देखकर सजा कम की जाए.

इतना ही नहीं दोषियों के वकील ने फांसी की सजा पर ही सवाल उठा दिए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि दुनिया के 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है और सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि मौत की सजा सिर्फ अपराधी को खत्म करती है अपराध को नहीं.

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पवन और विनय के वकील ने कहा कि मौत की सजा जीने के अधिकार को छीन लेती है और यह दुर्लभतम से दुर्लभ अपराध की श्रेणी में नहीं आता. फिर एकमात्र मुख्य गवाह और पारिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर मौत की सजा नहीं दी जा सकती.

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