
16 दिसंबर, साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी. बता दें कि 5 मई, 2017 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा था.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने के. मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की याचिकाओं को सोमवार को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि निर्भया कांड के चार दोषियों में शामिल अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के पांच मई 2017 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी.
कौन हैं वह दरिंदे जिन्होंने पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया को अपनी हवस का शिकार बनाया, जिनकी वजह से आज निर्भया हमारे बीच नहीं है. जानते हैं, निर्भया के उन दोषियों के बारे में जिनको फांसी की सजा सुनाई गई है...
मुकेश सिंह- मुकेश बस का क्लीनर था. जिस रात बस में गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह भी बस में सवार था. गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था. मुकेश सिंह अभी तिहाड़ जेल में बंद है.
विनय शर्मा- विनय पेशे से फिटनेस ट्रेनर था. जब इसके पांच अन्य साथी निर्भया के साथ गैंगरेप कर रहे थे तो यह बस चला रहा था. अन्य दोषियों के साथ विनय तिहाड़ जेल में कैद है, राम सिंह के खुदकुशी करने के बाद विनय ने भी जेल के भीतर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन वह बच गया था.
पवन गुप्ता- पवन गुप्ता दिल्ली में फल बेचने का काम करता था. 16 दिसंबर को गैंगरेप के समय यह भी अपने दोस्तों के साथ उस बस में मौजूद था. पवन गुप्ता भी तिहाड़ जेल में अन्य दोषियों के साथ बंद है. पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है.
अक्षय ठाकुर- बिहार का रहने वाला अक्षय ठाकुर अपनी पढ़ाई छोड़कर घर से भागकर दिल्ली आ गया था. यहां उसकी दोस्ती राम सिंह से हुई थी. राम सिंह के सहारे वह फल बेचने वाले पवन गुप्ता से भी घुल-मिल गया था. अक्षय ठाकुर भी तिहाड़ जेल में कैद है. बता दें कि अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट के पांच मई 2017 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है.
गौरतलब है कि निर्भया गैंगरेप मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे. जिनमें राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी. राम सिंह (32) जो पेशे से बस ड्राइवर था. जिस चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस बस को राम सिंह ही चला रहा था. राम सिंह इस वारदात का मुख्य आरोपी था. राम सिंह ने गैंगरेप करने के साथ ही निर्भया और उसके दोस्त को लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा था. घटना के महज कुछ घंटों बाद पुलिस ने राम सिंह को गिरफ्तार कर लिया था. 11 मार्च, 2013 को राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी.
जबकि इस मामले में एक नाबालिग दोषी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ उसे सुधार केंद्र में भेजा था. दिसंबर, 2015 में सजा पूरी करने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था.
केस स्टेटसः सभी 6 आरोपियों के खिलाफ बलात्कार, अपहरण और हत्या का मामला दर्ज हुआ था. फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चला और 13 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई. नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया था. 13 मार्च, 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा. 5 मई, 2017 को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा था. 9 जुलाई 2018 को कोर्ट ने दोषियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.