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नोएडा: पुलिस को बड़ी सफलता, चोरों के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़

जांच में पता चला कि यह गिरोह दिल्ली एनसीआर सहित हापुड़, गाज़ियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर के जिलों से वाहन चोरी कर नेपाल में तस्करी करना इनका धंधा था, ताकि पकड़े जाने पर वाहनों की बरामदगी न हो पाए.

गिरोह के पास से बड़ी संख्या में वाहन और औजार बरामद हुए हैं गिरोह के पास से बड़ी संख्या में वाहन और औजार बरामद हुए हैं
तनसीम हैदर/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नोएडा,
  • 30 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

नोएडा पुलिस को एक बड़ी सफलता हांथ लगी है. पुलिस ने वाहन चोरी करने वाले एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने गिरोह के चार बदमाशों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से बड़ी संख्या में चोरी के वाहन और वारदात को अंजाम देने में इस्तेमाल औजार बरामद हुए हैं. हालांकि गिरोह के दो बदमाश फागने में सफल रहे.

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दरअसल सोमवार की शाम चेकिंग के दौरान वाहनों की चोरी कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करने वाले गिरोह के सरगना अजय सहित चार बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने इनके पास से 1 कार, 15 मोटरसाइकिल, 6 स्कूटी, 1 लैपटॉप, 2 प्रिंटर, 26 ब्लैंक और 21 भरे हुए रजिस्ट्रेशन फॉर्म, 12 मोटर पंजीयन अधिकारियों के स्टाम्प, 8 नम्बर प्लेटें, 8 कारों के चेसिस नम्बर, बाइक के 19 लॉक और बाइक का लॉक तोड़ने में इस्तेमाल होने वाले 29 औजार बरामद किए हैं.

पुलिस की जांच में पता चला कि यह गिरोह दिल्ली एनसीआर सहित हापुड़, गाज़ियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर के जिलों से वाहन चोरी कर नेपाल में तस्करी करना इनका धंधा था, ताकि पकड़े जाने पर वाहनों की बरामदगी न हो पाए. वहीं अभियुक्तों पर पूरे एनसीआर समेत आस-पास के जिलों में दर्जनो मुकद्दमे दर्ज हैं.

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पुलिस ने गिरफ्तार चोरों की पहचान प्रवीण, अजय, गौरव और बंटी के रूप में की है. पुलिस का कहना है कि चारों अभियुक्त बड़े ही शातिराना और अंतर्राष्ट्रीय तस्करी गिरोह के सदस्य हैं. इनमें अजय पूरे गिरोह का सरगना है. दरअसल अजय और गौरव 2016 में भी वाहन चोरी के आरोप में जेल जा चुके हैं.

लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद इन्होंने और जोर-शोर से चोरी की वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया. उन्होंने एक गिरोह बनाया जिसमें अजय ने अपने भाई प्रवीण और गौरव, बंटी और अजय के बहनोई सुमीत के साथ मिलकर एक नया गैंग तैयार किया.

अजय ने तय किया कि चोरी करने के बाद वाहन को आसपास बेचने की बजाय, वे उसे मेरठ के सोतीगंज में कबाड़ी का काम करने वाले अरशद को देगें, या फिर नेपाल में दिल्ली पुलिस से बर्खास्त प्रवीण को बेचने की जिम्मेवारी सौपेंगे. उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि पुलिस किसी सदस्य को पकड़ भी ले तो वाहन की बरामदगी न हो पाए और चोरी साबित ही न हो सके.

पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि प्रवीण की मुलाकात गाज़ियाबाद की जेल में लखीमपुर के आशू से हुई और आशु नेपाल निवासी राजकुमार को जानता था. जिसके बाद इसने प्रवीण को राजकुमार से मिलवाया. इस गिरोह ने पिछले 3 महीने के दौरान राजकुमार के माध्यम से दिल्ली एनसीआर से चोरी कर वाहनों को नेपाल तस्करी कर देता था.

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बंटी, गौरव, सुमित बाइकों की चोरी करते थे, फिर अजय और प्रवीण को सौंप देते थे. एक बुलट का वे 10 हजार रुपए लेते थे. अजय और प्रवीण चारी की मोटरसाइकिल का लॉक बदलकर नया कागज तैयार करते और नेपाल निवासी राजकुमार को 25 हजार में बेच देते थे. वहीं राजकुमार इन चोरी के वाहनों को नेपाल में ही 5 से 10 हजार के मुनाफे पर बेच देता था.

पुलिस के आला अधिकारियों की मानें तो दिल्ली एनसीआर समेत गाज़ियाबाद, नॉएडा, ग्रेटर नॉएडा, बुलंदशहर, मेरठ और हापुड़ में इनके खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. मामले की तफ्तीश में जुटी पुलिस को अब इनके दो फरार साथियों की तलाश में जुट गई है.

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