
एक वक्त था जब कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन की साउथ इंडिया के जंगलों में तूती बोलती थी. उसका असली नाम कूज मुनिस्वामी वीरप्पन था, जो चन्दन की तस्करी के साथ हाथी दांत की तस्करी और कई पुलिस अधिकारियों की मौत का जिम्मेदार था. उसे पकड़ने के लिए सरकार ने करीब 20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे.
बताया जाता है कि कुख्यात तस्कर वीरप्पन तक पहुंचने के लिए तीन राज्यों की पुलिस और सेना को लंबा वक्त लगा था. लेकिन IPS विजय कुमार के नेतृत्व में चलाए गए ऑपरेशन कोकून चलाया गया था. विजय कुमार ने ही आज की ही तारीख 18 अक्टूबर 2004 को वीरप्पन को मार गिराया. उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी है.
IPS अफसर विजय कुमार की दिलचस्प कहानी
- कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का एनकाउंटर करने वाले के. विजय कुमार का जन्म 15 सितंबर 1950 को हुआ था.
- उनके पिता कृष्णन नायर रिटायर्ड पुलिस अफसर थे. उनकी मां कौशल्या गृहणी थीं.
- विजय ने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से ग्रैजुएशन और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पोस्ट ग्रैजुएशन पूरा किया था.
- वह बचपन से ही अपने पिता से प्रेरित थे. इस वजह से वह आईपीएस बनने का सपना देखते थे.
- साल 1975 में तमिलनाडु कैडर में आईपीएस बनने के बाद स्पेशल सिक्युरिटी ग्रुप में उन्होंने सर्विस की.
- स्पेशल टास्क फोर्स में तैनाती के दौरान उन्हें चंदन तस्कर वीरप्पन को मारने का जिम्मा सौंपा गया था.
- इसके बाद विजय कुमार कई वर्षों तक वीरप्पन की तलाश करते रहे. उन्होंने ऑपरेशन 'कोकून' का भी नेतृत्व किया.
- विजयकुमार ने बन्नारी अम्मान मंदिर में कसम खाई कि जब तक वीरप्पन को पकड़ नहीं लेते तब तक सिर के बाल नहीं मुड़वाएंगे.
- 18 अक्टूबर 2004 को उन्होंने अपने साथियों के साथ तमिलनाडु के धरमपुरी जंगल में हुए एनकाउंटर में वीरप्पन को मार दिया.
- विजय कुमार ने वीरप्पन पर एक किताब 'वीरप्पन चेज़िंग द ब्रिगांड' लिखा है. इसमें उन्होंने वीरप्पन के बचपन से लेकर डाकू बनने तक की कहानी बयान की है.