
बदमाशों के लिए खौफ का पर्याय बन चुकी यूपी पुलिस का ऑपरेशन ऑलआउट लगातार जारी है. ताजा मामला बुलंदशहर का है, जहां रविवार की देर रात पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान एक कुख्यात बदमाश अमित उर्फ कलुआ को मार गिराया. उसके सिर पर 50 हजार रुपये का इनाम था. वहीं, उसके दूसरे साथी फरार हो गए. पुलिस उनकी तलाश कर रही है.
जानकारी के मुताबिक, रविवार की शाम सिकंदराबाद के सिरोन्धन रोड पर पुलिस चेकिंग कर रही थी. उसी समय एक तेज रफ्तार में स्विफ्ट कार आती दिखाई दी. पुलिस ने रुकने का इशारा किया, तो कार सवार बैरियर तोड़कर भागने लगा. पुलिस ने बदमाशों का पीछा किया, तो उन लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने जमकर जवाब दिया.
इसी दौरान पुलिस की गोली कुख्यात बदमाश कलुआ को लग गई. वह मौके पर ही गिर पड़ा. इधर अंधेरे का फायदा उठाकर उसके साथी भागने में कामयाब हो गए. पुलिस ने बदमाश के कब्जे से रिवॉल्वर और देसी पिस्टल बरामद किया है. कलुआ 24 जनवरी को हुई नगर पालिका ठेकेदार जगवीर सिंह की हत्या में मुख्य आरोपी था. हत्याकांड के बाद से फरार था.
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में बदमाशों की शामत आ गई है. अपराधियों को लेकर यूपी पुलिस एक्शन में है. सूबे के सभी जोन में अब तक 1240 एनकाउंटर हो चुके हैं. इसमें 2956 अपराधी गिरफ्तार किए गए. इस दौरान अब तक 305 अपराधी पुलिस की गोलियों से घायल हुए और 41 अपराधी मारे गए. वहीं, 6 महीने में एनकाउंटर के दौरान 4 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं,
इस दौरान करीब 268 पुलिसवाले घायल भी हुए हैं. अब तक 1914 फरार इनामी अपराधी या तो पकड़े गए हैं या उन्होंने आत्मसमर्पण किया है. वहीं 172 ऐसे इनामी अपराधी हैं, जिन पर सरकार ने रासुका लगाई है. योगी सरकार इन आंकड़ों को अपने एक साल की उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है. अपराधियों में खौफ का वातावरण देखा जा रहा है.
1982 में हुआ था पहला एनकाउंटर
एनकाउंटर यानी मुठभेड़ शब्द का इस्तेमाल हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बीसवीं सदी में शुरू हुआ. एनकाउंटर का सीधा सीधा मतलब होता है. बदमाशों के साथ पुलिस की मुठभेड़. हालांकि बहुत से लोग एनकाउंटर को सरकारी क़त्ल भी कहते हैं. हिंदुस्तान में पहला एनकाउंटर 11 जनवरी 1982 को मुंबई के वडाला कॉलेज में हुआ था.
पहला एनकाउंटर विवादों में घिरा
उस वक्त मुंबई पुलिस की एक स्पेशल टीम ने गैंगस्टर मान्या सुरवे को छह गोलियां मारी थी. कहते हैं कि पुलिस गोली मारने के बाद उसे गाड़ी में डाल कर तब तक मुंबई की सड़कों पर घुमाती रही, जब तक कि वो मर नहीं गया. इसके बाद उसे अस्पताल ले गई. आज़ाद हिंदुस्तान का ये पहला एनकाउंटर ही विवादों में घिर गया था.