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महिला के मर्डर केस में रामपाल को उम्रकैद की सजा

उम्रकैद की सजा सुनते ही रामपाल दहाड़ मार कर रो पड़ा और घुटनों के बल बैठ गया. जज से रहम की भीख मांगते हुए उसने सजा में ढील मांगी लेकिन उसकी फरियाद नहीं सुनी गई.

फाइल फोटो (रॉयटर्स) फाइल फोटो (रॉयटर्स)
रविकांत सिंह/अनुज मिश्रा/परवेज़ सागर
  • हिसार,
  • 17 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

सतलोक आश्रम में महिला की हत्या किए जाने का मामला भी रामपाल पर भारी पड़ गया. इस मामले में हिसार की अदालत ने बुधवार को रामपाल और अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

उम्रकैद की सजा सुनते ही रामपाल दहाड़ मार कर रो पड़ा और घुटनों के बल बैठ गया. उसके बाद जज की ओर देख कर बोला आप तो कबीर भक्त हो कुछ तो रहम कर देते. जज ने रामपाल की ओर देखा और बाहर निकल गए. दरअसल कार्रवाई शुरू होने से पहले रामपाल को जज ने ही बताया था कि वो भी कबीर के दोहे सुनते रहते हैं और उन्हें अच्छे लगते हैं लेकिन जब जज ने रामपाल को इतनी कठोर सजा सुनाई तो रामपाल ने उन्हें कहा कि कबीर भक्त हो आप कुछ रहम ही कर देते.

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सुनवाई के लिए जेल परिसर में ही विशेष अदालत लगाई गई थी. जहां जज ने सजा का ऐलान किया. इससे पहले 5 लोगों की हत्या के मामले में भी रामपाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है.

यह मामला आश्रम में महिला की हत्या से जुड़ा है. रामपाल को एक महिला की हत्या के मामले यानी केस नंबर-430 में दोषी पाया गया है. इसमें रामपाल समेत 13 आरोपी थे. सजा के ऐलान से पहले हिसार में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी बढ़ा दी गई थी. दो दर्जन से ज्यादा मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए थे.

इससे पहले, मंगलवार को हिसार कोर्ट ने चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत के मामले में रामपाल के खिलाफ सजा का ऐलान किया. उसे मरने तक कारावास की सजा सुनाई गई. इन दोनों मामलों में 11 अक्टूबर को कोर्ट ने रामपाल सहित सभी आरोपियों को दोषी ठहराया था. मंगलवार को एफआईआर संख्या-429 में फैसला आ चुका है. बुधवार को एफआईआर संख्या 430 में फैसला आना है.

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पहला मामला नवंबर 2014 का है. सतलोक आश्रम के संचालक कई आरोपों से घिरे थे. कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था लेकिन उसे तामील नहीं किया जा सका था. रामपाल पुलिस के साथ लुकाछिपी खेल रहा था. पुलिस ने आश्रम को चारों तरफ से घेर लिया था लेकिन रामपाल के समर्थक और भक्त पुलिस से लोहा ले रहे थे. वे मरने मारने पर उतारू थे.

इसी दौरान 18 नवंबर 2014 को हिंसा के बीच एक महिला की लाश सतलोक आश्रम से बरामद की गई थी. उसकी संदिग्ध मौत के बाद आश्रम पर सवाल उठ रहे थे. उसकी मौत का कारण उस वक्त साफ नहीं था. पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उस लाश को आश्रम से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा था.

पुलिस किसी भी कीमत पर रामपाल को गिरफ्तार करना चाहती थी. जबकि उसके भक्त पुलिस को आश्रम में दाखिल नहीं होने दे रहे थे. वे पुलिस पर गोलियां बरसा रहे थे. हथगोले फेंक रहे थे. पूरी हरियाणा सरकार इस घटना से सकते में आ गई थी. करीब 10 दिन चली इस हिंसा के दौरान 4 महिलाओं और 1 बच्चे की मौत हो गई थी.

ये दोनों मामले रामपाल के लिए गले की हड्डी बन गए थे. 18 दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार हरियाणा पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार कर लिया था. मंगलवार को सजा सुनाए जाने के बाद रामपाल को जेल में अब नया नाम मिल गया है. अब उसे जेल में कैदी नंबर 1005 के रूप में जाना जाएगा. हालांकि सूत्रों की मानें तो उसने 1008 नंबर की मांग की थी लेकिन उसे 1005 नंबर मिला. जेल प्रशासन ने रामपाल को काम भी सौंप दिया है.

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बताया जाता है कि उसको जेल में फूल-पौधे उगाने और उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके साथ जेल के बंदियों और कैदियों के लिए वह सब्जियां भी उगाएगा.

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