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रोडरेज के 30 साल पुराने केस में नवजोत सिंह सिद्धू पर फैसला आज

पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ 30 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा. इस केस में निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए उनको गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और तीन साल कैद की सजा सुना दी थी.

पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू
मुकेश कुमार/सतेंदर चौहान
  • नई दिल्ली/चंडीगढ़,
  • 14 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST

पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ 30 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा. इस केस में निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए उनको गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और तीन साल कैद की सजा सुना दी थी.

नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसी पर फैसला आना है. 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में सड़क पर 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से बहस के बाद सिद्धू के उन्हें मुक्का मारने से उनकी मौत हो गई थी, जिसका आरोप नवजोत सिंह सिद्धू पर लगा था. फिलहाल उनकी सजा पर रोक है और केस की सुनवाई जारी है.

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मृतक के परिजनों ने पिछली सुनवाई के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 2012 में एक चैनल को दिए इंटरव्यू को सबूत के तौर पर पेश किया था. इसमें सिद्धू ने स्वीकार किया था कि उनकी पिटाई से ही गुरनाम सिंह की मौत हुई थी. 12 अप्रैल को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सिद्धू ने झूठ बोला कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे.

पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 30 साल पुराने रोडरेज केस में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराए जाने का फैसला सही है. सिद्धू अभी पंजाब सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति और स्थानीय निकाय मंत्री हैं. सरकार के कोर्ट में दिए इस बयान ने सिद्धू की परेशानी बढ़ा दी थी.

पंजाब सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हुई थी. उन्होंने ये भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया था कि गुरनाम सिंह की मौत हृदयगति रुकने से हुई थी, न कि ब्रेनहैमरेज से. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यही वजह है कि हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलट दिया था.

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बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में फैसले मद्देनजर कांग्रेस ने पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से पहले से ही किनारा करना शुरू कर दिया. पहले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट से सिद्धू को जो सजा दी गई, वो बिल्कुल सही है. इसके बाद कर्नाटक चुनाव प्रचार के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से उनका नाम बाहर कर दिया गया.

इतना ही नहीं सिद्धू को एक नया झटका पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी से मिला. पीपीसीसी यानी पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी को-आर्डिनेशन कमेटी और अन्य कई कमेटियों की घोषणा की थी. इनमें पंजाब के तमाम नेताओं को ओहदे और जिम्मेदारियां दी गईं, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू का नाम किसी भी को-आर्डिनेशन कमेटी में मौजूद नहीं था.

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