
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नाबालिगों के साथ रेप केस में सख्त से सख्त सजा देने के लिए संसद को कानून बनाने पर विचार करना चाहिए. दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने महिला वकील संघ द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात कही. इस याचिका में रेप करने वाले अपराधियों की नसबंदी कराने के प्रावधान की मांग की गई है.
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की वकील महालक्ष्मी पवानी को बताया कि आवेश और भावुकता के आधार पर अपराधियों को सख्त सजा देने के लिए कानून नहीं बनाए जा सकते. न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के निवेदन का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि कानून बनाने की शक्ति संसद के अधिकार क्षेत्र में है, यह काम न्यायालय नहीं कर सकता. वहीं, एक दूसरे मामले में अदालत ने पुरुषों की सुरक्षा की बात की.
'पुरुषों को झूठे मामलों से बचाने की जरूरत'
रेप केस से एक वकील को आरोपमुक्त करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसे झूठे मामलों के प्रभाव से पुरुषों को सुरक्षा देने के लिए कदम उठाया जाए. शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत वापस ले लिए जाने के बाद अदालत ने बलात्कार के इस मामले में कहा कि यदि वकील चाहे तो क्षतिपूर्ति के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ केस दायर कर सकता है.
नजरअंदाज नहीं किए जा सकते ऐसे मामले
अतिरिक्त सत्रीय न्यायाधीश निवेदिता अनिल शर्मा ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आरोपी, जो कि एक वकील है, उन्हें इस मामले की वजह से कानूनी खर्च के अलावा, अपमान, परेशानी और मुसीबत का सामना करना पड़ा. उनके लिए परेशानी आरोपमुक्ति के बाद भी जारी रह सकती है. इस मामले में उनके फंसने पर समाज में शोरगुल हुआ होगा. वह आरोपी होने का दंश झेलते रहेंगे.
पुरुषों की सुरक्षा के लिए कानून की जरूरत
उन्होंने कहा कि कोई भी पुरुषों के सम्मान को लेकर चर्चा नहीं कर रहा है. सभी सिर्फ महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं. महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाए जा रहे हैं, लेकिन ऐसे समय पर पुरुषों को सुरक्षा देने वाला कानून कहां है, जब उसे ऐसी किसी महिला द्वारा झूठे मामले में फंसाया और परेशान किया जा रहा हो. मौजूदा मामले में ऐसा ही हुआ है. अब कदम उठाने का समय आ गया है.
इनपुट- IANS और भाषा