
पाकिस्तान में बैठे दहशतगर्दी के हुक्मरान हिंदुस्तान के भोले-भाले नौजवानों को बरगला कर दहशतगर्दी की आग में झोंकते रहे हैं. लेकिन ये कहानी है चंद ऐसे नौजवानों की, जिन्हें इस नर्क में उतरने के लिए किसी ने गुमराह नहीं किया, बल्कि जो खुद ही गुमराह हो गए और दशतगर्दी के रास्ते पर चल निकले.
नाम- मोहम्मद साजिद
उम्र- 22 साल
जगह- भजनपुरा, दिल्ली
नाम- समीर अहमद
उम्र- 24 साल
जगह- लोनी, यूपी
नाम- शाकिर अंसारी
उम्र- 24 साल
जगह- देवबंद, यूपी
दहशतगर्दी के इन तीन कारिंदों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 मई की रात तब गिरफ्तार किया था, जब महज एक रोज पहले इनमें से एक साजिद के हाथों गलती से दिल्ली के ही चांदबाग के उसके घर में एक बम फट गया और पुलिस को इनकी भनक लग गई. तीनों लंबे वक्त से ऐसे ही बम बनाने की तैयारी में जुटे थे.
इस बम को किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर फोड़ने की कोशिश में थे, लेकिन बस इस एक गलती ने इनका भांडा फोड़ दिया. इसके बाद पूछताछ के दौरान इन्होंने जो कहानी सुनाई, उसने सेल के धाकड़ पुलिसवालों के भी होश उड़ा दिए. जी हां, जैश-ए-मोहम्मद अब भारतीय मुस्लिम युवाओं को बहकाने के लिए इस नए फंडे पर काम कर रहा है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 20 अक्टूबर को दिल्ली के पटियाला कोर्ट में इन तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. इससे पता चला है कि चांद बाग का ये माड्यूल ना सिर्फ सेल्फ फाईनेंस था बल्कि सेल्फ ट्रेंड भी था. महज 22 साल का साजिद जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर की तकरीरें सुनकर प्रभावित हुआ था.
उसने अपना फेसबुक प्रोफाइल बनाकर उस पर खुद की जगह मसूद अजहर की फोटो लगा दी. यहीं से उसे आतंक की दुनिया की एंट्री मिल गई. फेसबुक पर मसूद अजहर के फोटो लगाने के कुछ दिनों के बाद ही साजिद को राशिद आवान की तरफ से एक फ्रेंड रिकवेस्ट आई. उसे मैसेज मिला, 'आपने मेरे हजरत का फोटो अपने प्रोफाइल पिक पर कैसे लगाया?'
साजिद ने फौरन जवाब दिया कि वह भी मसूद अजहर का फॉलोवर है. उससे हर कीमत पर मिलना चाहता है. इसके बाद राशिद अवाना से साजिद की फेसबुक पर चैट शुरु हो गई. अवाना साजिद के फेसबुक पर कई फोटो पोस्ट करता. उसे जेहाद से जुड़ी किताबों के लिंक भेजता. इस तरह से अवाना ने साजिद को एक खूनी जेहाद के लिए तैयार कर लिया.
पुलिस के मुताबिक, साजिद को एक दिन एक अवाना के भेजे पोस्ट पर एक मोबाइल नंबर मिला. वहां लिखा था आमिरे जैश. साजिद को लगा कि ये नंबर जैश के आमीर यानी मौलाना मसूद अजहर का है. उसने फौरन उस नंबर को अपने ही नाम से सेव कर लिया. उस पर सलाम लिख कर व्हाट्सऐप मैसेज भेज किया. तीन दिन बाद साजिद को जवाब मिला.
उसमें लिखा था कि वालेकुम अस्सलाम. इसके बाद साजिद इस नंबर पर बात करने लगा. उसे लगा कि वो मसूद अजहर से बात कर रहा है, लेकिन बाद में उसे पता चला कि ये नंबर मसूद अजहर का नहीं बल्कि उसके साथी तल्हा सैफ का है. साजिद को जो भी मिलता उसकी कोशिश होती कि वो किसी भी तरह पकिस्तान पहुंच जाए.
साजिद और समीर के बीच बातचीत का अंश
साजिद- किताबें वगैरह पढ़ ली वो.
समीर- पढ़ रहा हूं अब्बा (मसूद अजहर) जी वाली.
साजिद- अच्छा यार एक छोटा सा काम था.
समीर- क्या?
साजिद- एक टेस्ट है थोड़ा सा. पार्क वार्क है घर के पास.
समीर- हमारे घर के पास तो नहीं देखा.
साजिद- कहीं दूर हो. एक प्रोडक्ट बनाया है. उसकी कैपेसिटि चेक करनी है.
समीर- मैं समझ गया तुम क्या कहना चाहते हो.
साजिद- रख कर चले जाना रेंज अपने आप पता लग जाएगा.
ये सारी बातचीत 3 मई, 2016 की दोपहर एक बजे के करीब की है, इसी के बाद पुलिस ने बिना वक्त गवाएं इन तीनों को गिरफ्तार किया था. ये साजिश काफी पहले से चल रही थी. बिना किसी ट्रेनिंग और किसी फंडिग के बम बनाने के लिए और खूनी जेहाद के लिए साजिद को जैश के आतंकियों ने भड़काया था.
साजिद को जैश में एंट्री दिलाने वाला और उसे आतंक का रास्ता दिखाने वाला कोई और नहीं बल्कि पठानकोट आतंकी हमले का हैंडलर राशिद अवाना था. राशिद ने ही साजिद को बम बनाने के तमाम गुर फेसबुक और वॉट्सअप के जरिए उसे भेजा था. साजिद पाकिस्तान जैश के कैम्प में जाना चाहता था.