
दिल्ली के बवाना में इन दिनों लोग दो मासूमों की दोस्ती की मिसालें देते हुए नहीं थक रहे हैं. यहां 5 साल के अपने दोस्त को डूबते हुए देख एक 7 साल के बच्चे ने उसे अपनी जान पर खेलते हुए नहर से बाहर निकाला.
मिली जानकारी के अनुसार, बवाना की ईश्वर कालोनी का रहने वाला कन्हैया (5) साइकिल चला रहा था. साइकिल चलाते हुए वह सिंचाई नहर के पास पहुंच गया. अचानक कन्हैया का बैलेंस बिगड़ा और वह साइकिल समेत नहर में जा गिरा. कन्हैया मदद के लिए चीखने-चिल्लाने लगा.
कन्हैया ने बताया कि उसने वहां से गुजर रहे राहगीरों से मदद मांगी लेकिन कोई भी उसे बचाने के लिए सामने नहीं आया. कन्हैया की मानें तो उसने एक बाइक सवार से भी मदद मांगी थी. बाइक सवार वहां रूका. कन्हैया को फंसे हुए देख वह पहले अपने बच्चों को घर छोड़ वहां आने की बात कहकर निकल गया.
तभी वहां से गुजर रहे कन्हैया के दोस्त दीपांशु (7) की उस पर नजर पड़ी. दीपांशु ने अगले ही पल बिना कुछ सोचे-समझे नहर के ऊपर से गुजर रहे बिजली के पतले पोल को क्रॉस किया और उसने एक बड़ी सी लकड़ी ढूंढकर कन्हैया की ओर बढ़ाई. गनीमत रही कि कन्हैया ने लकड़ी पकड़ ली और उसके सहारे वह नहर से बाहर आ गया.
घटना के बाद से स्थानीय लोग दीपांशु के साहस की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. दोनों नन्हें दोस्त अब भाई बन गए हैं. कन्हैया की मां सरिता का कहना है कि दीपांशु ने उनके बच्चे की जान बचाई है. वह पूरी उम्र उसके आभारी रहेंगे. देखा जाए तो दीपांशु ने महज 7 साल की उम्र में वो काम कर दिखाया है, जो वहां खड़े उम्रदराज तमाशबीन शायद ताउम्र नहीं कर पाएंगे.