
बसपा सुप्रीमो मायावती के सहारनपुर दौरे के बाद भीड़ पर हमला करने और दो लोगों को गोली मारने के मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. 23 मई को हुए इस हमले में एक व्यक्ति आशीष की मौके पर ही मौत हो गई थी, वहीं दूसरा शख्स गंभीर रूप से घायल हो गया था. आरोपियों के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है.
पुलिस ने बताया कि 23 मई को बडगांव थाना क्षेत्र के शब्बीरपुर गांव में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यक्रम के बाद शामिल लोगों के लौटते समय चन्दपुर गांव के बाहरी क्षेत्रों में असमाजिक लोगों द्वारा कातिलाना हमला किया गया था. इसमें घर लौट रहे आशीष और सचिन को गोली मार दी गई थी. इसमें आशीष की मौके पर मौत हो गई थी.
>इस घटना के संबंध में थाना बडगांव में विभिन्न आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा अम्बेहटा चांद गांव से लोगों पर कातिलाना हमला करने वाले एक अभियु लोकेश उर्फ लुक्का और गोली मारकर आशीष की हत्या किए जाने में शामिल राजू उर्फ बिलास और सोनू उर्फ सोमपाल को गिरफ्तार किया गया.
74 फेसबुक प्रोफाइल पर लगा बैन
बताते चलें कि इससे पहले सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वाले कई अकाउंट को पुलिस की साइबर सेल ने बंद करवा दिया है. पुलिस के इस निर्णय के तहत फेसबुक के 74 प्रोफाइल, ट्विटर के 35 और यूट्यूब के 32 प्रोफाइल बंद करा दिए गए हैं. हिंसा की अफवाहों को रोकने के लिए ऐसा किया गया है.
सोशल मीडिया पर लगा था बैन
इससे पहले जातीय हिंसा को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों के मद्देनजर सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया गया था. सीआरपीसी की धारा 144 की दंड प्रकिया संहिता 1973 के अंतर्गत यह कार्रवाई की गई थी. मोबाइल कंपनियों को सहारनपुर में इंटरनेट, एसएमएस सेवाओं को तत्काल प्रभाव से बंद करने का फरमान जारी किया गया था.
13 सदस्यों वाली SIT गठित
वहीं, सहारनपुर में 5 से 23 मई के बीच हुई जातीय हिंसा के दौरान दर्ज 40 मामलों की जांच के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहारनपुर ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. इस एसआईटी में 13 सदस्य हैं. इनमें एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर शामिल हैं, जो एसएसपी के निर्देशन में जांच करेंगे.
कैसे भड़की थी जातीय हिंसा
बताते चलें कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप शोभायात्रा के दौरान हुए एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था. इसके बाद विशेष जाति पर दलितों के साथ अत्याचार करने और उनके घर जलाने का मामला सामने आया था. इस मामले में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.