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सहारनपुर हिंसा: दर्ज मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन

सहारनपुर में 5 से 23 मई के बीच हुई जातीय हिंसा के दौरान दर्ज 40 मामलों की जांच के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहारनपुर ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. इस एसआईटी में 13 सदस्य हैं. इनमें एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर शामिल हैं.

सहारनपुर में भड़की जातीय हिंसा सहारनपुर में भड़की जातीय हिंसा
मुकेश कुमार
  • लखनऊ,
  • 30 मई 2017,
  • अपडेटेड 9:12 AM IST

सहारनपुर में 5 से 23 मई के बीच हुई जातीय हिंसा के दौरान दर्ज 40 मामलों की जांच के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहारनपुर ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. इस एसआईटी में 13 सदस्य हैं. इनमें एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर शामिल हैं.

आईजी, लोक शिकायत विजय सिंह मीना ने बताया कि सहारनपुर में दर्ज हुए 40 मामलों की जांच के लिए एसआईटी की गठन किया गया है. यह एसआईटी सहारनपुर में जातीय हिंसा में कायम हुए 40 मुकदमों की जांच करेगी. इसमें 400 लोग नामजद हैं. 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस है.

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सहारनपुर में जातीय हिंसा के बाद सूबे के आला पुलिस अधिकारियों ने सहारनपुर में मोर्चा संभाला हुआ था. गृह सचिव मणिप्रसाद मिश्रा, एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आदित्य मिश्रा, आईजी (एसटीएफ) अमिताभ यश, डीआईजी विजय भूषण सहारनपुर भेजे गए थे. कई आला अधिकारियों पर गाज गिरी थी.

डीएम और एसएसपी को हटाया
सहारनपुर हिंसा को गंभीरता से लेते हुए यूपी सरकार ने डीएम और एसएसपी को हटा दिया, जबकि मंडलायुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक के तबादले कर दिए. तत्काल प्रभाव से प्रमोद कुमार पाण्डेय को नया जिलाधिकारी नियुक्त किया गया, जबकि बबलू कुमार सहारनपुर के नये पुलिस कप्तान बनाये गए.

इंटरनेट, सोशल मीडिया पर रोक
जातीय हिंसा को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों के मद्देनजर सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया गया था. सीआरपीसी की धारा 144 की दंड प्रकिया संहिता 1973 के अंतर्गत यह कार्रवाई की गई थी. मोबाइल कंपनियों को सहारनपुर में इंटरनेट, एसएमएस सेवाओं को तत्काल प्रभाव से बंद करने का फरमान जारी किया गया था.

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कैसे भड़की थी जातीय हिंसा
बताते चलें कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप शोभायात्रा के दौरान हुए एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था. इसके बाद विशेष जाति पर दलितों के साथ अत्याचार करने और उनके घर जलाने का मामला सामने आया था. इस मामले में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

 

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