
किसी की कमाई हजारों में हो और दौलत अरबों में, तो मामला समझना मुश्किल नहीं है. यूपी पुलिस और ईडी ने एक ऐसे एआरटीओ को पकड़ा है, जिसे लोग पूर्वांचल के यादव सिंह के नाम से जानते थे. काली कमाई का एक चेहरा, जिसके पास सिर्फ़ एक सरकारी नौकरी के बदौलत अरबों की दौलत है. उसकी काली कमाई के राज़ हर किसी को चौंका रहा है.
देर से ही सही आख़िरकार क़ानून के हाथ उस सरकारी अफसर की गिरेबान तक पहुंच ही गए, जिसे सरकार ने तैनात तो किया था कायदे कानूनों की हिफाजत के लिए, लेकिन कानूनों की हिफाजत करते-करते वो खुद ही क़ानून तोड़ कर काली कमाई का ऐसा धनकुबेर बन बैठा, जिसका साम्राज्य देख कर अब खुद सरकार ही हैरान है.
आरएस यादव. एआरटीओ, चंदौली. 'काली कमाई का धनकुबेर'. जी हां, यही नाम है इसका. यही ओहदा है इस शख्स का. लेकिन अपने इसी ओहदे की आड़ में आरएस यादव नाम के इस शख्स पर चंद सालों में अरबों की काली कमाई का ऐसा इल्ज़ाम है, जो अलग-अलग शहरों में उसकी अकूत दौलत की सूरत में पुलिस और इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के हाथ लगा है.
बल्कि अब तो हालत ये है कि एआरटीओ आरएस यादव की संपत्ति कहां से शुरू हो कर कहां ख़त्म होती है, इसका सही-सही हिसाब फिलहाल किसी के पास नहीं. लेकिन मोटे तौर पर एआरटीओ की करतूतों की जांच कर रहे अफसरों का कहना है कि बनारस में उसके पास होटल, गोरखपुर में मॉल, आलीशान मकान और वॉल्वों बसों की फ्लीट का भी पता चला है.
अब सवाल ये है कि आख़िर ये एआरटीओ ऐसा क्या करता था, जिससे उसने रातों-रात इतने रुपये कमा लिए? आख़िर उसके भ्रष्टाचार का तरीक़ा क्या था? और आख़िर वो अब तक पकड़ा क्यों नहीं गया? आरएस यादव की जांच करनेवाले अफ़सरों का कहना है कि अपने महकमे के मुलाज़िमों की मदद से बिहार यूपी के चंदौली बॉर्डर पर बाकायदा वसूली गैंग चला रहा था.
वो बालू लाद कर यूपी आनेवाले ट्रकों को ओवर लोडिंग के नाम पर रोकता और हर ट्रक से 7 से 15 हज़ार रुपये वसूल करता. इस तरह वो सालों से हर रोज़ लाखों रुपये कमा रहा था. यहां तक की उसके खिलाफ़ पहले भी कई बार शिकायत की गई, लेकिन पिछली सरकारों ने हमेशा से इन शिकायतों की अनदेखी कर दी. लेकिन मामला आगे बढ़ता रहा.
पुलिस की मानें तो इस बार जब उन्हें चंदौली में अवैध वसूली की शिकायत मिली, तो उसने परिवहन विभाग के कुछ मुलाज़िमों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया. जब उनसे पूछताछ हुई तो वसूली के तार इसके किंगपिन एआरटीओ आरएस यादव तक जा पहुंचे. उन्हें बाद में पुलिस ने जौनपुर के पास से गिरफ्तार कर लिया. हालांकि वो अब भी खुद को बेकसूर बता रहा है.
आरएस यादव की ज़्यादती का शिकार हो चुके लोगों का कहना है कि चूंकि वो पिछले काफ़ी समय से कई राजनेताओं को अपनी काली कमाई कि हिस्सा देता रहा है, इसलिए अब से पहले कभी पकड़ा नहीं गया. ऐसे में अब देखना है कि जांच कहीं आरएस यादव के आकाओँ तक भी पहुंचती है या फिर यहीं खत्म हो जाती है. जांच जारी है.