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तत्काल रेल ई-टिकट रैकेट का पर्दाफाश, इस तरह करते थे फर्जीवाड़ा

मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित पश्चिम मध्य रेलमंडल में रेल सुरक्षा बल की टीम ने रविवार को ई-टिकट के जरिए दलाली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 10 लाख रुपये की कीमत के 700 ई-टिकट का ब्यौरा बरामद किया.

10 लाख रुपये की कीमत के 700 ई-टिकट का ब्यौरा बरामद 10 लाख रुपये की कीमत के 700 ई-टिकट का ब्यौरा बरामद
मुकेश कुमार
  • भोपाल,
  • 13 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:36 PM IST

मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित पश्चिम मध्य रेलमंडल में रेल सुरक्षा बल की टीम ने रविवार को ई-टिकट के जरिए दलाली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 10 लाख रुपये की कीमत के 700 ई-टिकट का ब्यौरा बरामद किया. इस सिलसिले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है.

जानकारी के अनुसार, आरपीएफ को ई-टिकट बनाने वाले गिरोह का पता चला. इस सूचना के आधार पर आरपीएफ की टीम ने गोरखपुर क्षेत्र में स्थित अनमोल कैफे पर दबिश दी. वहां राकेश कुमार नामक व्यक्ति ई-टिकट बनाते मिला. पुलिस ने जब पूछताछ की, तो उसने टिकट बनाने की बात स्वीकार कर ली.

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आरपीएफ निरीक्षक वीरेंद्र सिंह के अनुसार, आरोपी ने 30 से ज्यादा अपनी मेल आईडी बना रखी है. उन्हीं के जरिए तत्काल रिजर्वेशन टिकट बनाता है. एक ई-टिकट पर उसे 200 रुपये तक का अतिरिक्त कमीशन मिलता है. उसके पास से 700 ई-टिकट का ब्यौरा मिला है, जो 10 लाख रुपये से अधिक कीमत के हैं.

वीरेंद्र सिंह द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आरोपी के पास से 78 बने हुए टिकट मिले हैं, जो 1,63,095 रुपये के हैं और 660 टिकटों का ब्यौरा मिला है, जिनकी कीमत 8,53,800 रुपये है. इस तरह उसके पास से कुल 10,16,000 रुपये से ज्यादा के ई-टिकटों का ब्यौरा मिला है. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.

बताते चलें कि इससे पहले मध्य रेलवे आरपीएफ ने तत्काल ई-टिकट बुक करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया था. यह रैकेट अनधिकृत सॉफ्टवेयर के द्वारा चंद सेकंड में सैकड़ों तत्काल टिकट बुक कर देता था. इस रैकेट के मास्टरमाइंड को मध्य रेलवे के मुंबई डिविजन के ठाणे में गिरफ्तार कर लिया गया.

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उसके पास ई-टिकट बुक करने का लाइसेंस भी नहीं है. उसका नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है. काउंटर सॉफ्टवेयर के द्वारा बुक किए गए डेढ़ करोड़ रुपये के 6600 तत्काल ई-टिकट रेलवे ने ब्लॉक कर दिए. ये टिकट देशभर से बुक हुए थे, लेकिन पश्चिम और मध्य रेलवे के टिकट सबसे ज्यादा हैं. इस रैकेट का नेटवर्क पूरे देश में था.

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