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टेरर फंडिंग: ED ने जब्त की अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की संपत्तियां

टेरर फंडिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की दो करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों को जब्त किया है.

अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह (फाइल फोटो- रॉयटर्स) अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह (फाइल फोटो- रॉयटर्स)
मुनीष पांडे
  • @itsmunish,
  • 29 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST

अलगाववादी कश्मीरी नेता शब्बीर अहमद शाह पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा है. ईडी ने शुक्रवार को टेरर फंडिंग मामले में शब्बीर अहमद शाह की दो करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों को जब्त कर लिया. अलगाववादी नेता शाह की ये संपत्तियां उनकी पत्नी और बेटियों के नाम पर थीं. ईडी ने शब्बीर शाह की इफंदी बाग, रावलपोरा और श्रीनगर स्थित संपत्तियों को जब्त किया है. ये सभी संपत्तियां मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जब्त की गई हैं. साल 1999 में इनकी संपत्तियों की कीमत तकरीबन 25 लाख रुपये थी.

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प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह अपने साथी मोहम्मद के साथ अवैध गतिविधियों को अंजाम देने में शामिल रहा है. ईडी ने दावा किया है कि शब्बीर अहमद शाह आतंकी संगठन 'जैश-ए-मोहम्मद' के सक्रीय कार्यकर्ता असलम वानी के जरिए पाकिस्तान स्थित हमदर्दों के द्वारा श्रीनगर में हवाला ऑपरेटरों से भेजे गए पैसे को इकट्ठा करता है.     

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की. शब्बीर शाह ने स्वीकार किया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है. साथ ही वह अपने खर्चों के लिए पैसे के किसी भी वैध स्रोत के बारे में भी बता नहीं पाया. जांच से यह भी पता चला कि शब्बीर अहमद शाह पाकिस्तान की सरजमीं से चलने वाले आतंकी संगठन ‘जमात-उद-दावा’ के सरगना हाफिज सईद के संपर्क में था.

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जांच एजेंसी के अनुसार, उन्होंने पाया कि शब्बीर अहमद शाह को जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पैसे मिले थे और संदिग्ध लेनदेन के माध्यम से इन संपत्तियों को खरीदा. जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, वो श्रीनगर के पॉश इलाके इंफदी बाग और रावलपोरा में स्थित हैं. ये संपत्तियां शब्बीर अहमद शाह की पत्नी और बेटियों के नाम पर है.

ईडी ने कहा, ‘यह दिखाया गया था कि यह संपत्ति 2005 में उसकी भाभी द्वारा उसकी पत्नी और बेटियों को उपहार में दी गई थी, जो 1999 में उसके ससुर द्वारा उनके नाम पर खरीदी गई थी. हालांकि, बार-बार मौका दिए जाने के बावजूद उनके ससुर और भाभी इस संपत्ति खरीद के लिए पैसे का स्रोत बता पाने में नाकाम रहे हैं’

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