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सेहत का हवाला देकर डीपी यादव ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी जमानत, अगले हफ्ते होगी सुनवाई

चर्चित नेता डीपी यादव की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया है. दरअसल, डीपी यादव ने मेडिकल ग्राउंड के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत देने की अपील की है.

डीपी यादव के खिलाफ कई संगीन मामले दर्ज हैं (फाइल फोटो) डीपी यादव के खिलाफ कई संगीन मामले दर्ज हैं (फाइल फोटो)
aajtak.in/परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2020,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

  • कई पार्टियों में किस्मत आजमा चुके हैं डीपी यादव
  • विवादों से रहा है पुराना नाता, कई मामले दर्ज

उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव ने देश की सबसे बड़ी अदालत में जमानत याचिका दाखिल की है. जिस पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार नहीं चाहती कि डीपी यादव को किसी भी हाल में जमानत मिले. इसलिए यूपी सरकार ने डीपी यादव की जमानत का किया विरोध किया है.

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यूपी सरकार ने किया विरोध

एक वक्त में यूपी से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में धमाल मचाने वाले चर्चित नेता डीपी यादव की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया है. दरअसल, डीपी यादव ने मेडिकल ग्राउंड के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत देने की अपील की है. अब देश की सर्वोच्च अदालत में इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी. हालांकि उन्हें जमानत मिलना आसान नहीं है, क्योंकि यूपी की योगी सरकार ने उनकी जमानत का विरोध किया है.

जेल से रैकेट चलाने के आरोप

आपको बताते चलें कि इससे पहले साल 2016 में डीपी यादव का नाम एक बार फिर उस वक्त सुर्खियों में आया था. जब उन पर देहरादून जेल में बैठकर नार्थ इंडिया का सबसे बड़ा सट्टा चलाने का आरोप लगा था. वो भी कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि अरबों का सट्टा. ऐसा सट्टा जो देश की राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, बिहार औऱ राजस्थान से चलाया जाता था, और इस सट्टे का एक दिन का टर्नओवर करीब 30 करोड़ के आसपास होता था. यानि 30 करोड़ रुपए रोज सट्टे की इस काली दुनिया में लगाए जाते थे और सारे खर्चे और सटोरियों, पंटर का पैसा देकर रोज़ करीब 5 करोड़ रुपये मुनाफा भी कमा लिया जाता था.

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काले कारोबार में करोड़ो का टर्नओवर

उस वक्त जांच एजेंसियों को पता चला कि ये सट्टा 2005 से चल रहा था. रोज के 30 करोड़ के टर्नओवर से 15 साल का टर्नओवर अरबों में हो जाता है. आरोप है कि इस सट्टे को यूपी के बाहूबली नेता और हत्या समेत कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे डीपी यादव का संरक्षण हासिल था. वो देहरादून की जेल में बैठकर इस पूरे नेटवर्क को चला रहे थे, जिसके लिए उन्हें हर रोज़ 2 लाख रुपए कैश दिए जाते थे.

2015 में हुआ था सट्टे का खुलासा

डीसीपी नार्थ ईस्ट दिल्ली अजित कुमार सिंघला के मुताबिक इस पूरे नेटवर्क को खुलासा साल 2015 में हुआ था, 2015 में दिल्ली पुलिस को खुफिया जानकारी मिली कि गोकलपुरी इलाके में एक घर में सट्टा खेला जा रहा है जिसके पीछे कई बड़े सटोरियों और बदमाशों का हाथ है, इसके बाद पुलिस ने 26 अगस्त की रात को गोकलपुरी इलाके में छापा मारकर 14 लोगों को पकड़ा था, जिनमें 4 नाबालिग भी शामिल थे.

सोभती की मौत के बाद बने सरगना

उस मामले में डीपी यादव को दिल्ली पुलिस देहरादून जेल से 10 दिन की हिरासत में दिल्ली लेकर आई आई थी. उनके खिलाफ गैंबलिंग एक्ट समेत मकोका का केस दर्ज किया गया था. बताया जाता है कि डीपी यादव सट्टा रैकेट से आज से नहीं बल्कि 15 साल से जुड़े थे. 2005 तक दिल्ली में सट्टे का सरगना ओम प्रकाश सोभती था. लेकिन 2005 में सोभती की मौत के बाद यह पूरा कारोबार डीपी यादव चलाने लगे थे.

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