
उत्तर प्रदेश के हाथरस में छात्रवृत्ति घोटाले में ईओडब्ल्यू यानी आर्थिक अपराध शाखा ने पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी अधिकारी पर आरोप है कि उसने स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर छात्रवृत्ति के करीब डेढ़ करोड़ रुपये गबन कर लिए. इस मामले में अभी चार आरोपी जिसमें एक महिला भी शामिल है, फरार हैं.
गिरफ्तार किए जाने वाले जिला समाज कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह नौकरी से रिटायर हो चुके हैं. साल 2012-2013 में वह हाथरस जिले में जिला समाज कल्याण अधिकारी के तौर पर तैनात थे. अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने हाथरस स्थित ठाकुर राजपाल सिंह इंटर कॉलेज के प्रबंधक धर्मवीर सिंह, प्रधानाचार्य आशीष पंडित, सहायक अध्यापक आदर्श पुंडीर, शांति देवी राजपाल सिंह और एक महिला के साथ मिलकर डेढ़ करोड़ रुपये जोकि छात्रवृत्ति के लिए आए थे उसका गबन कर लिया.
2014 में इसकी जांच शुरू हुई थी, जिसके बाद लगातार अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आ रही थी. जांच में पाया गया कि कॉलेज प्रबंधन ने 720 बच्चों के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रों वाली छात्रवृत्ति ली थी. जब कागजातों की जांच की गई तो कॉलेज में सिर्फ 50 बच्चे मिले, और इन बच्चों को भी छात्रवृत्ति नहीं बांटी गई. पूरी रकम आरोपियों ने आपस में बांट ली. रजिस्टर में दर्ज सभी बच्चों के नाम-पते फर्जी मिले थे.
इस मामले में जिला समाज कल्याण अधिकारी शिवकुमार ने मुकदमा दर्ज कराया था और जांच ईओडब्ल्यू यानी इकोनामिक ऑफेंस विंग को सौंप दी गई थी. जिसके बाद कार्रवाई करते हुए ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तारी की. जानकारी के मुताबिक इस पूरे घोटाले में समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं. उनसे भी पूछताछ हुई है और जल्द ही इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होंगी. हड़पी गई रकम को रिटायर्ड जिला समाज कल्याण अधिकारी की पेंशन और बाकी अधिकारियों की सैलरी से रिकवर किया जाएगा.