
इससे पता चलता है कि सियासत से लेकर पुलिस विभाग में कितनी गहरी पैठ उसने बना रखी थी, ताकि उसके गुनाहों की फेहरिस्त दुनिया के सामने आ ही ना सके और वो अपने काले साम्राज्य का विस्तार बे-रोक-टोक करता रहे.
हत्या और हत्या के प्रयास के 5 केस
पुलिस के दस्तावेज बताते हैं कि विकास दुबे पर हत्या और हत्या के प्रयास के 5 केस दर्ज थे. अगर उस पर दर्ज कुल FIR की संख्या देखी जाए तो ये आंकड़ा 60 हो जाता है. बावजूद इसके विकास ना तो जिले और ना ही थाने की टॉप-10 अपराधियों की सूची में था.
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विकास दुबे के गैंग को भी पुलिस ने नहीं माना
यही नहीं अब तक उसके गैंग को भी पुलिस ने रिकॉर्ड नहीं किया था. हैरानी की बात ये है कि लगभग दो दशक में कई सरकारें रहीं और तमाम अफसर भी बदल गए लेकिन किसी ने भी विकास दुबे के गुनाहों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया.
एसएसपी को नहीं दी जानकारी
बीते दिनों कानपुर में तैनाती पर आए एसएसपी दिनेश कुमार ने आते ही जिले के टॉप मॉस्ट अपराधियों पर कार्रवाई की समीक्षा की और उनके आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी ली, लेकिन उस समय भी किसी ने उन्हें विकास दुबे के बारे में नहीं बताया.
STF की लिस्ट में भी विकास दुबे का नाम नहीं
जानकारी के मुताबिक इस साल मार्च महीने में एसटीएफ ने पुलिस मुख्यालय में 25 दुर्दांत अपराधियों की एक सूची भेजी थी, हैरान करने वाली बात ये है कि इस लिस्ट में भी विकास दुबे का नाम नहीं था.
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इसी लापरवाही और कोताही का नतीजा ये रहा कि विकास दुबे का हौसला बढ़ता गया और इस अपराधी ने क्राइम की दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया और यूपी पुलिस के 8 जवानों और अफसरों को अपने प्राण गंवाने पड़े.