
पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में पंचायत बोर्ड के गठन को लेकर जबर्दस्त हिंसा हुई है, जिसमें अब तक दस लोगों की मौत हो चुकी है.
मंगलवार रात को नॉर्थ 24 परगना जिले के अमदंगा इलाके में तृणमूल कांग्रेस (TMC)और माकपा कार्यकर्ताओं के बीच खूनी टकराव हुआ जो बुधवार को भी जारी रहा. इस हिंसा में टीएमसी के दो कार्यकर्ता- कुद्दूस अली गईन और नासिर हलदार तथा माकपा का एक कार्यकर्ता मुजफ्फर अहमद मारा गया है.
एक देसी बम का विस्फोट भी हुआ जिसमें कई ग्रामीण घायल हो गए हैं. घायलों को बरासात स्टेट जनरल हॉस्पिटल और कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है.
इसके पहले पंचायत बोर्ड के गठन को लेकर मालदा, पुरुलिया, साउथ 24 परगना, झराग्राम और अलीपुरदार जिले में हिंसा हो चुकी है. राज्य में 24 अगस्त को पंचायत बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू होने से ही हिंसा का सिलसिला जारी है.
टीएमसी को हराने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट
गौरतलब है कि नॉर्थ 24 परगना जिले के स्थानीय ताराबेरिया पंचायत में 19 सीटें हैं, जिनमें से 9 पर टीएमसी और 7 पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) को जीत मिली है. बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय को एक-एक सीट मिली है.
विपक्षी दलों का आरोप है कि 'टीएमसी के गुंडों ने स्थानीय विधायक अर्जुन सिंह के नेतृत्व में उन पर हमला किया, क्योंकि पूरा विपक्ष पंचायत बोर्ड में टीएमसी को हराने के लिए एक हो गया था.'
मंत्री ने कहा- किसी को बख्शेंगे नहीं
घायल कार्यकर्ताओं को अस्पताल में देखने गए राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने कहा, 'यह एक साजिश है ताकि टीएमसी बोर्ड का गठन न कर पाए. देखते हैं कि उनमें कितना दम है, देखते हैं कि हमारे कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह की हिंसा करने के बाद वे कब तक छिपे रह सकते हैं. वे चाहे कोई भी हैं, हम उन्हें गिरफ्तार करेंगे. पुलिस हर घर की तलाशी लेगी.'
घटना के बाद इलाके में तनाव बना हुआ है और बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. हिंसा के बाद तीन अन्य पंचायतों-तराबेरिया, बोदाई और मोरिचा में बोर्ड के गठन कार्यक्रम को रोक दिया गया है. पुलिस ने इस सिलसिले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. हिंसा के बाद कई पंचायतों में बोर्ड के गठन को रोकने के लिए विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा चुके हैं.