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छत्तीसगढ़ः 2003 में फर्जी मार्कशीट के जरिये पाईं थी सरकारी नौकरी, अब हुईं 7 अरेस्ट

फर्जी मार्कशीट में सभी महिलाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण थीं. इनमें से 14 महिलाओं को तो 4 विषयों में डिस्टिंक्शन मार्क्स मिले थे. कुछ महिलाओं ने नर्सिंग प्रशिक्षण सर्टिफिकेट भी जमा करवाए थे. CID की जांच में सामने आया कि यह सर्टिफिकेट्स भी फर्जी थे.

एक दर्जन से अधिक महिलाएं फरार हैं एक दर्जन से अधिक महिलाएं फरार हैं
सुनील नामदेव
  • दुर्ग,
  • 05 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में हायर सेकेंडरी की फर्जी मार्कशीट के जरिए सरकारी नौकरी पाने वाली एक दर्जन से ज्यादा महिलाएं फरार हैं. पुलिस ने इस मामले में अभी तक कुल 7 महिलाओं को गिरफ्तार किया है. इन सभी महिलाओं ने साल 2003 में स्वास्थ्य विभाग में बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर फर्जी मार्कशीट के जरिए नौकरी पाई थी.

मिली जानकारी के अनुसार, साल 2003 में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता पद की 270 भर्तियां निकाली गईं थीं. इनमें 16 पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे. बताया जा रहा है कि आरोपी महिलाओं ने हायर सेकेंडरी की जो मार्कशीट जमा की थी, वह फर्जी थी.

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फर्जी मार्कशीट में मिली फर्स्ट डिवीजन

फर्जी मार्कशीट में सभी महिलाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण थीं. इनमें से 14 महिलाओं को तो 4 विषयों में डिस्टिंक्शन मार्क्स मिले थे. कुछ महिलाओं ने नर्सिंग प्रशिक्षण सर्टिफिकेट भी जमा करवाए थे. CID की जांच में सामने आया कि यह सर्टिफिकेट्स भी फर्जी थे.

12 साल से कर रही थीं सरकारी नौकरी

ज्यादातर महिलाएं नौकरी में 12 साल से भी अधिक समय बिता चुकी हैं. इस पूरे खेल का खुलासा तब हुआ जब दुर्ग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को साल 2009 में एक शिकायत मिली. इस शिकायत में महिलाओं द्वारा फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने की जानकारी दर्ज थी.

पुलिस ने केस की जांच CID को सौंपी

3 साल की प्राथमिक जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस फर्जीवाड़े की सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने केस दर्ज कर जांच का जिम्मा CID को सौंप दिया. 5 साल तक जांच महज फाइलों में कैद होकर रह गई. शिकायतकर्ताओं ने एक बार फिर जांच अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े की याद दिलाई, जिसके बाद CID अधिकारी सक्रिय हुए.

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एक दर्जन से अधिक महिलाएं फरार

CID और पुलिस ने 7 आरोपी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि धरपकड़ की भनक लगते ही एक दर्जन से अधिक महिलाएं फरार हो गईं. इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन भर्ती अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, महिलाओं द्वारा दिए गए प्रमाण पत्रों की पड़ताल नहीं कराई गई थी. फिलहाल आरोपी महिलाओं की तलाश के साथ-साथ CID और पुलिस उन अफसरों की भी पड़ताल में जुट गई है, जिन्होंने इस भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था.

 

 

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