कहते हैं कि भीड़ की कोई शक्ल नहीं होती. उनका कोई दीन-धर्म नहीं होता और इसी बात का फायदा हमेशा मॉब लिंचिंग करने वाली भीड़ उठाती है. पर सवाल ये है कि इस भीड़ को इकट्ठा कौन करता है? उन्हें उकसाता-भड़काता कौन है? जवाब हम सब जानते हैं. पर फिर भी सब खामोश हैं.
डर इस बात का है कि अगर कानून हर हाथ का खिलौना हो जाएगा तो फिर पुलिस, अदालत और इंसाफ सिर्फ शब्द बन कर रह जाएंगे. मोहम्मद अख्लाक से लेकर रकबर खान तक. पिछले 4 सालों में मॉब लिंचिंग के 134 मामले हो चुके हैं और एक वेबसाइट के मुताबिक इन मामलों में 2015 से अब तक 68 लोगों की जानें जा चुकी हैं. इनमें दलितों के साथ हुए अत्याचार भी शामिल हैं.