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पांच साल में 34 एयरफोर्स विमान क्रैश, 19 हादसे इंसानी गलती से... संसदीय समिति की रिपोर्ट

वायुसेना के विमान हादसों की एक डरावनी रिपोर्ट सामने आई है. पांच साल में 34 हादसे हुए हैं, जिसमें से 19 इंसानी गलती (Human Error) की वजह से हुए हैं. ये खुलासा पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट में सामने आई है. इस तरह के हादसों से लगातार सेना के फाइटर जेट्स, पायलट और आम लोगों को नुकसान होता है.

8 अगस्त, 2019 को ली गई यह तस्वीर सुखोई-30 विमान की है, जो  नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान असम के तेजपुर के पास हादसाग्रस्त हुआ था. (फाइल फोटोः AFP) 8 अगस्त, 2019 को ली गई यह तस्वीर सुखोई-30 विमान की है, जो नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान असम के तेजपुर के पास हादसाग्रस्त हुआ था. (फाइल फोटोः AFP)
शिवानी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

रक्षा मामलों की संसदीय समिति की एक भयावह रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि 2017 से 2022 के बीच वायुसेना के 34 विमान क्रैश हुए. इनमें फाइटर जेट्स, ट्रेनिंग क्राफ्ट्स और हेलिकॉप्टर्स शामिल हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर हादसे इंसानी गलती यानी ह्यूमन एरर की वजह से हुए है. उसके बाद तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से. 

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किस साल हुए कितने हादसे? 

2017-18: 8 हादसे
2018-19: 11 हादसे
2019-20: 3 हादसे
2020-21: 3 हादसे
2021-22: 9 हादसे

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8 दिंसबर 2021 को कन्नूर के पास हादसाग्रस्त हुआ Mi-17V5 हेलिकॉप्टर, जिसमें जनरल बिपिन रावत समेत 12 लोग दिवंगत हुए थे. (फाइल फोटोः AFP)

सबसे ज्यादा हादसे 2018-19 और 2021-22 में हुए. ये बात बेहद चिंताजनक है. इनमें हाई-प्रोफाइल हादसे भी शामिल हैं, जिसमें से एक दिसंबर 2021 में हुआ था. इसमें Mi-17V5 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत शहीद हुए थे. 

हादसों की प्राथमिक वजह

रिपोर्ट के मुताबिक 34 हादसों में से 19 हादसे एयरक्रू की इंसानी गलती यानी ह्यूमन एरर से हुए. 9 हादसे तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से. बाकी हादसे पक्षियों के टकराने या अनजान वस्तुओं की वजह से हुए डैमेज की वजह से. 

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15 मार्च 2017 को प्रयागराज के पास क्रैश हुआ चेतक हेलिकॉप्टर. (फाइल फोटोः गेटी)

पूर्व सीडीएस बिपिन रावत समेत 12 लोगों की मौत मौसम में आए अनचाहे बदलाव की वजह से हुआ था. जिसमें पायलट सही नेविगेशन समझ नहीं पाया. वह कंट्रोल्ड फ्लाइट इंटू टरेन (CFIT) को मैनेज नहीं कर पाया. 

हादसों वाला विमान

MiG-21 फाइटर जेट सबसे ज्यादा हादसाग्रस्त होते आए हैं. इनकी वजह से कई पायलट शहीद हुए हैं. कई लोग मारे गए हैं. इसमें तकनीकी गड़बड़ियों के अलावा इंसानी गलती भी शामिल है. इसके अलावा Mi-17, जुगआर, सुखोई-30 और किरण टेनर जेट्स शामिल हैं. 

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17 मार्च 2021 को ग्वालियर के पास क्रैश हुआ MiG-21 फाइटर जेट. (फाइल फोटोः PTI)

सुरक्षा के क्या बचाव हैं? 

रक्षा मंत्रालय ने इन हादसों से बचाव को लेकर संसदीय समिति को बताया कि कई तरह के कदम उठाए गए हैं. जिनमें प्रमुख हैं ऑपरेशनल प्रोटोकॉल्स, ट्रेनिंग और मेंटेनेंट प्रैक्टिस का रिव्यू करना. इन्क्वायरी रिपोर्ट में दिए गए सलाहों का पूरी तरह से पालन करना. 

एक्सीडेंट्स में आती कमी

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2000-2005 में हर 10 हजार उड़ान में से 0.93 हादसे होते थे. जो 2017-22 में घटकर मात्र 0.27 रह गया. अगर साल 2020-24 की बात करें तो हादसे घटकर 0.20 हो चुके हैं. ये बताता है कि सेफ्टी प्रोटोकॉल्स को पूरी तरह से फॉलो किया जा रहा है 

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