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33 ग्राम वजन, हथेली से छोटा साइज... जानिए इंडियन आर्मी के ब्लैक हॉर्नेट नैनो ड्रोन के बारे में जो आतंकियों को उनके बिल में घुसकर खोज निकालेगा!

आपने देखा होगा कि कैसे इजरायल माइक्रो ड्रोन का इस्तेमाल करके अपने दुश्मनों का खात्मा करता है. कीट के आकार के इस तरह के ड्रोन से इजरायल ने दूसरे देशों में भी ना केवल अपने लक्ष्यों को साधा बल्कि दुश्मन का खात्मा करने के लिए भी यह अहम साबित हुए हैं.

भारतीय सेना कर रही है ब्लैक हॉर्नेट ड्रोंस का इस्तेमाल (Photo: X via @Zlatti_71) भारतीय सेना कर रही है ब्लैक हॉर्नेट ड्रोंस का इस्तेमाल (Photo: X via @Zlatti_71)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:38 AM IST

भारतीय सेना ने भी इजरायल जैसी ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. 'आज तक' ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना की इकाइयों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथेली के आकार के ड्रोन "ब्लैक हॉर्नेट" का जायजा लिया. इस ड्रोन से सेना को काफी मदद मिलेगी.

कीट के आकार वाला यह ड्रोन सैनिकों को आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान गुप्त रूप से खुफिया जानकारी एकत्र करने, इमारतों के अंदर से लाइव विजुअल भेजने या गोलीबारी के दौरान चुपचाप सटीक लक्ष्यों की जानकारी दे सकता है.

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इससे पहले आपने देखा होगा कि कैसे इजरायल माइक्रो ड्रोन का इस्तेमाल करके अपने दुश्मनों का खात्मा करता है. कीट के आकार के इस तरह के ड्रोन से इजरायल ने दूसरे देशों में भी ना केवल अपने लक्ष्यों को साधा बल्कि दुश्मन का खात्मा करने के लिए भी यह अहम साबित हुए हैं.

(फोटो: BSS Holland)

महज 33 ग्राम है वजन

कीट आकार के इस ड्रोन को ब्लैक हॉर्नेट कहा जाता है जिसका वजन सिर्फ 33 ग्राम है. यह नॉर्वे का है जो बहुत महंगा है. इन कीट के आकार के ड्रोंस का इस्तेमाल वर्तमान में भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स और विशेष बल कर रहे हैं.यह मूल रूप से एक छोटा सा हेलीकॉप्टर जैसा है जिसमें ट्विन रोटर लगे हुए. इसकी रेंज करीब दो किलोमीटर की है.

आतंकरोधी अभियान में अहम साबित हो सकते हैं ड्रोन

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इसमें छोटा सा एंटीना लगा है जिसे आप आसानी से हाथ से नियंत्रित कर सकते हैं. ये ड्रोन्स किसी कमरे में घुसकर वहां की जानकारी ले सकते हैं, इसके अलावा बंधक बचाव, आतंकवाद विरोधी जैसे अभियानों के लिए यह बहुत ही अहम हैं,जहां बड़े ड्रोन का उपयोग करना बहुत मुश्किल हो जाता है.  ये खिड़की या दरवाज़े से अंदर घुसकर लक्ष्यों की पहचान कर सकते हैं. इस ड्रोन्स की खासियत की है यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि घर के अंदर पकड़े गए लोग वास्तव में वे लोग हैं जिनकी तलाश सेना या विशेष बलों को है. 

इन खूबियों से है लैस

वजन की बात करें तो यह महज 33 ग्राम का है लेकिन अविश्वसनीय रूप से बहुत शक्तिशाली है. इसमें एक बहुत ही ताकतवर फ्रंट कैमरा लगा हुआ है जो पूरी तरह से कलर और हाई डेफिनेशन (HD) है.यह रियल टाइम की लाइव तस्वीरें वापस भेजता है. इसलिए भले ही इसकी रेंज लगभग दो किलोमीटर है, लेकिन इसका उपयोग करने वालों ने आजतक को बताया कि 100, 200 मीटर वह आदर्श रेंज है जिस पर इसका उपयोग किया जाता है क्योंकि इसे मूल रूप से महज खिड़की के माध्यम से फेंका जाता है. 

अंदर जाकर यह बाहर लाइव फीड या तस्वीरें भेजता है और फिर केना, विशेष बल, कमांडो, इस बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं कि वास्तविक लक्ष्य कौन हैं और क्या आतंकवादियों के साथ लोग तो बंधक नहीं बनाए गए हैं. सटीक जानकारी मिलने के बाद वह यह सुनिश्चित कर पाते हैं कि कोई जनहानि ना हो. ये माइक्रो ड्रोन, भारतीय सेना के लिए बहुत ही कारगर साबित हो सकते हैं.

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