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क्यों है Agni-1 मिसाइल भारत की शान, कम रेंज के बावजूद डरते हैं चीन और पाकिस्तान

भारत के स्ट्रैटेजिक कमांड फोर्स ने अग्नि-1 (Agni-1) बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. टेस्ट एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड पर किया गया. यह एक ट्रेनिंग लॉन्च था. इस लॉन्च के दौरान अग्नि 1 मिसाइल अपने सारे मानकों पर खरा उतरा. इसने टारगेट को सटीकता के साथ हिट किया.

ये है Agni-1 बैलिस्टिक मिसाइल, जिसकी टेस्टिंग ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से की गई. ये है Agni-1 बैलिस्टिक मिसाइल, जिसकी टेस्टिंग ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से की गई.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

भारत की स्ट्रैटेजिक कमांड फोर्स (Strategic Command Force) की सबसे शानदार और घातक मिसाइलों में एक है अग्नि-1 (Agni-1) मिसाइल. जिसका 7 दिसंबर 2023 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर परीक्षण किया गया. यह एक ट्रेनिंग लॉन्च था. यानी कमांड फोर्स में शामिल नए सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए की गई लॉन्चिंग. 

लॉन्च के बाद ही मिसाइल ने अपने टारगेट को सटीकता से हिट किया. उसने एवियोनिक्स, स्पीड, रेंज और इलेक्ट्रॉनिक्स के मानकों को पूरा किया. यह एक कम से मध्यम दूरी की मिसाइल है. यानी इसे शॉर्ट रेंज से लेकर मीडियम रेंज तक के लिए दाग सकते हैं. इसे देश में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बनाया गया है. 

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यह सिंगल स्टेज की मिसाइल है, जिसे करगिल युद्ध (Kargil War) के बाद विकसित किया गया था. ताकि 250 किलोमीटर से लेकर 2500 किलोमीटर की रेंज के बीच का गैप भरा जा सके. यानी पृथ्वी-2 से लेकर अग्नि-2 मिसाइल के बीच का गैप पूरा किया गया. इस मिसाइल की रेंज 700 से 1200 किलोमीटर है. देश में इस समय 75 से ज्यादा लॉन्चर तैनात किए गए हैं. हालांकि कहां और किस पोजिशन में उसका खुलासा नहीं किया गया है. 

देश में किसी भी जगह से लॉन्च करने की ताकत 

सिंगल स्टेज और सॉलिड फ्यूल पर चलने वाली ये मिसाइल कहीं से भी लॉन्च की जा सकती है. क्योंकि इसे लॉन्च करने के लिए  8x8 टाट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर का इस्तेमाल होता है. फिलहाल इसके दो वैरिएंट मौजूद हैं. पहला अग्नि-1 और दूसरा अग्नि-1पी. ताकि दुश्मन के टारगेट पर ज्यादा सटीक और तेज गति से हमला किया जा सके. 

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छह तरह के हथियारों का कर सकते हैं इस्तेमाल

Agni-1 मिसाइल के वॉरहेड में पारंपरिक हाई एक्सप्लोसिव यूनिटरी, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, इंसेनडेरी, थर्मोबेरिक और परमाणु हथियार लगा सकते हैं. यानी कई तरह के हथियारों से दुश्मन पर हमला किया जा सकता है. भारतीय सेना अक्सर इसका परीक्षण करती रहती है. आमतौर पर सारे परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम आइलैंड से ही होते हैं. 

एक मिसाइल की कीमत 25 से 35 करोड़ रुपए

इस मिसाइल का इस्तेमाल भारतीय थल सेना के स्ट्रैटेजिक कमांड फोर्स की 334वीं मिसाइल ग्रुप करती है. जिसका बेस सिकंदराबाद में है. इस मिसाइल में बीच रास्ते में दिशा बदलने की क्षमता है, क्योंकि इसमें रिंग लेजर गाइरो इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम लगा है. एक मिसाइल की कीमत 25 से 35 करोड़ रुपए आती है. 

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