
भारतीय नौसेना का नया जंगी जहाज आईएनएस तुशिल रूस से भारत की यात्रा के दौरान लंदन में रुका. इस समय उसपर लगे हथियार भी दिखाई दिए. खासतौर से A-190E नेवल गन और ब्रह्मोस मिसाइल का वर्टिकल लॉन्च सिस्टम, एंटी-शिप क्रूज मिसाइल लॉन्च सिस्टम. ये दोनों ऐसे हथियार हैं, जिनसे दुनिया कांपती है.
पहले जानते हैं A-190E नेवल गन के बारे में...
ये जंगी जहाजों पर लगाई जाने वाली 100 मिलिमीटर की मल्टीपरपज ऑर्टिलरी गन है. ये हथियार हवा, जंगी जहाज, सतह, जमीन पर हमला कर सकती है. इसमें लगने वाली एक गोली का वजन 26.8 किलोग्राम होता है. ये हथियार माइनस 10 डिग्री से लेकर प्लस 85 डिग्री तक घूमकर हमला कर सकता है.
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ये हथियार एक मिनट में 60 राउंड फायर करता है. यानी हर सेकेंड में एक गोली निकलती है. जो किसी भी बड़े जहाज, कैरियर, विमान या हेलिकॉप्टर या पनडुब्बी को निशाना बना सकती है. इस हथियार में 350 गोलियां स्टोर रहती हैं. जरूरत पड़ने पर कुछ ही मिनट में फिर से रीफिल हो जाता है. ये चारों दिशाओं में घूमकर हमला करने में सक्षम हैं.
वर्टिकल लॉन्च ब्रह्मोस/एंटी-शिप क्रूज मिसाइल
तुशिल पर 8 x VLS लॉन्च्ड ब्रह्मोस और एंटी-शिप क्रूज मिसाइल सिस्टम लगा है. 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल क्लब, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप और लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात है. ये जंगी जहाज इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस हैं. साथ ही 4 केटी-216 डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं. इसमें 24 Shtil-1 मीडियम रेंज की मिसाइलें तैनात हैं.
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एक 76 mm की ओटो मेलारा नेवल गन लगी है. 2 AK-630 CIWS और 2 काश्तान CIWS गन लगी हैं. इन खतरनाक बंदूकों के अलावा दो 533 मिलिमीटर की टॉरपीडो ट्यूब्स हैं. एक रॉकेट लॉन्चर भी तैनात किया गया है. इस जंगी जहाज पर एक कामोव-28 या एक कामोव-31 या ध्रुव हेलिकॉप्टर लैस हो सकता है.
भारत की ओर आ रहा है आईएनएस तुशिल
इंडियन नेवी का नया मल्टीरोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशिल रूस के कलिनिनग्राद से 17 दिंसबर 2024 को भारत के लिए रवाना हुआ. यह उसकी पहली परिचालन तैनाती है. रूस में बने इस जहाज को 9 दिसंबर 24 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे नौसेना में शामिल कराया था.
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यह जहाज बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर से होकर गुजरेगा. रास्ते में कई मित्र देशों के बंदरगाहों पर रुकेगा. तुशिल की पहली तैनाती में भारतीय नौसेना के प्रमुख चार्टर यानी राजनयिक, सैन्य और कांस्टेबुलरी गतिविधियां शामिल होंगी.
यह जहाज क्षेत्र में समुद्री डकैती वाले स्थानों सहित मार्ग में पड़ने वाली अनेक नौसेनाओं के साथ संयुक्त गश्ती और समुद्री साझेदारी अभ्यास करेगा. मित्र देशों के बंदरगाह पर रुकने के दौरान मेजबान नौसेनाओं के साथ क्षमता निर्माण गतिविधियों को अंजाम देगा. बंदरगाह प्रवास के दौरान उस इलाके में मौजूद भारतीय प्रवासियों से भी संपर्क किया जाएगा.