
909 km लंबी सीमा के पास ईरान और पाकिस्तान की फौजें तैनात हो रही है. सैनिकों और हथियारों का दोनों तरफ जमावड़ा हो रहा है. एक तरफ ईरान का सिस्तान प्रांत है, सीमा के दूसरी तरफ पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत. तीसरा कोना है अफगानिस्तान का. इस जगह पर कुह-ए-मलिक सालीह (Kuh-i-Malik Salih) पहाड़ियों की रेंज है.
यहां पर पहाड़ों की रिजेस हैं. दक्षिण-पश्चिम में तहलब नदी (Tahlab River) है. पूर्व की तरफ मश्किल नदी (Mashkil River) है. दक्षिण की तरफ नहंग नदी (Nahang River) है. पहाड़ियों को पार करके आप यहां से ग्वादर की खाड़ी (Gwadar Bay) और अमन की खाड़ी (Gulf of Oman) तक जा सकते हैं.
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यह इलाका हमेशा से ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का रहा है. चाहे वह इतिहास की बात रही हो या फिर आजकल की. 18वीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने भारत के अधिकतम हिस्सों पर कब्जा कर लिया था. पाकिस्तान तब भारत का हिस्सा था. तब 1871 में ब्रिटिश सरकार और ईरान के बीच बाउंड्री को लेकर समझौता हुआ. सीमांकन हुआ.
आतंकियों के निशाने पर रहती है ये सीमा, करते रहते हैं हमला
भारत की आजादी के बाद पाकिस्तान अलग हुआ. पाकिस्तान ने ईरान के साथ 1958-59 में सीमांकन किया. ग्राउंड पर पिलर्स लगाए. जून 2023 में इस सीमा के पास एक आतंकी हमला हुआ था. जिसमें पाकिस्तान बॉर्डर पेट्रोल के कुछ सैनिक मारे गए थे. उसके कुछ दिन पहले ही इसी सीमा पर ईरान की तरफ आतंकी हमला हुआ था, जिसमें पांच ईरानी बॉर्डर पेट्रोल सैनिक मारे गए थे.
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सीमा पर लंबी और खतरनाक फेंसिंग की दोनों देशों ने
ईरान ने 2011 में अपनी सीमा पर फेंसिंग का काम शुरू किया था. जिसमें 3 फीट मोची और 10 फीट ऊंची कॉन्क्रीट की दीवार है. जिसके चारों तरफ स्टील रॉड्स से किलोबंदी की गई है. ये दीवार ताफ्तान से मांड तक 700 किलोमीटर तक बनाई गई है. पाकिस्तान ने 2019 में फेंसिंग शुरू की. जनवरी 2022 तक पाकिस्तान ने अपनी सीमा का 90 फीसदी हिस्सा फेंसिंग से कवर कर दिया था.
दोनों देशों की बीच चार सड़कें भी हैं, सब एक्टिव हैं
पाकिस्तान से ईरान के लिए जाती हैं चार सड़कें. ये चारों ही ऑपरेशनल हैं. पहली सड़क है- ताफ्तान से मिरजावेह की तरफ. दूसरी है ग्वादर से चाबहार तक. तीसरी है मांड से पिशिन तक और चौथी है चादगी से कुहक तक. ये सभी सड़कें बलूचिस्तान से सिस्तान की तरफ जाती हैं.
सीमा के दोनों तरफ कितने रिहायशी इलाके
909 किलोमीटर लंबी इस सीमा के दोनों तरफ दोनों देशों के रिहायशी इलाके भी हैं. ईरान की तरफ 14 कस्बे है. ये हैं लार मरुद, जाहेदान, काशेह रुद, मिरजावेह, लदीज, नारेह नाउ, जालेक, कालेह, फहरेह, मुर्त, एसफंदक, कवारी, पिशिन और कुशक. दूसरी तरफ पाकिस्तान यानी बलूचिस्तान प्रांत के 11 कस्बे हैं. ये हैं- सोहतागन, किला लदगश्त, वाशप, सर-ए-परोम, गिरबम, सोहराग, अब्दुई, ताफ्तान, सिराग, कुरुंब और जिवानी.