
रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 19 हजार करोड़ रुपए में 200 से ज्यादा ब्रह्मोस-ईआर मिसाइलों (BrahMos-ER) को खरीदने को मंजूरी दे दी है. इन सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों में लगाया जाएगा. मार्च के पहले हफ्ते में ब्रह्मोस एयरोस्पेस और रक्षा मंत्रालय के बीच डील होने की संभावना है.
भारतीय नौसेना ने इस मिसाइल की 400 और 500 किलोमीटर रेंज में सफल टेस्टिंग कर ली है. राजपूत क्लास फ्रिगेट, कोलकाता और विशाखापट्टनम क्लास गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर से भी परीक्षण हो चुके हैं. नौसेना के जंगी जहाजों में 300 किलोमीटर रेंज वाली पुरानी ब्रह्मोस मिसाइल तैनात है. ब्रह्मोस-ईआर से रेंज बढ़ जाएगी.
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ईआर का मतलब है एक्सटेंडेड रेंज. भारतीय सेना (Indian Army) के पास ब्रह्मोस मिसाइलों की पांच रेजीमेंट हैं. यानी 300 से ज्यादा मिसाइलें. साल 2016 में भारत-रूस मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल का ऐसा वर्जन तैयार करना चाहते थे, जो कम से कम 1500 किलोमीटर या उससे ज्यादा रेंज में मार कर सके. वह भी 100 फीसदी सटीकता के साथ. 24 नंबवर 2020 में DRDO ने ब्रह्मोस मिसाइल के 800 किलोमीटर रेंज वाले वैरिएंट का सफल टेस्ट किया था.
आखिरकार ब्रह्मोस मिसाइल क्यों है इतनी खास?
ब्रह्मोस मिसाइल में इंफ्रारेड सीकर टेक्नोलॉजी लगी है. यानी मिसाइल की सटीकता तय करने वाला यंत्र. यह मिसाइल की चोंच पर लगा रहता था. दूर बैठकर टारगेट सेट करो और मिसाइल दाग दो. कई बार मिसाइलों में होमिंग गाइडेंस यानी ऑटोपायलट सीकर भी लगे होते हैं.
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ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी बर्बाद कर देता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकती है. यानी दुश्मन के राडार इसे देख ही नहीं पाएंगे. यह किसी भी मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा दे सकती है. इसे किसी एंटी-एयर मिसाइल सिस्टम से गिराना मुश्किल है. ब्रह्मोस अमेरिका के टोमाहॉक मिसाइल से दोगुना तेज उड़ती है.
ब्रह्मोस के चार नौसैनिक वर्जन मौजूद
ब्रह्मोस के चार नौसैनिक वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट.
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इन युद्धपोतों पर तैनात है ब्रह्मोस
भारतीय नौसेना ने राजपूत क्लास डेस्ट्रॉयर INS Ranvir - INS Ranvijay में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर लगा रखा है. इसके अलावा तलवार क्लास फ्रिगेट INS Teg, INS Tarkash और INS Trikand में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर तैनात है. शिवालिक क्लास फ्रिगेट में भी ब्रह्मोस मिसाइल फिट है. कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर में भी यह तैनात है. INS Visakhapatnam में सफल परीक्षण हो चुका है.
नौसैनिक ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत
युद्धपोत से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. सॉलिड और लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है.