
हाल ही में ईरान से एक खबर आई कि उसने परमाणु बम का परीक्षण किया. किसी ने कहा कि वो भूकंप था. क्योंकि 4.6 तीव्रता की भूकंपीय लहर से जमीन कांप गई. लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या सच में ईरान परमाणु बम बना लेगा. या बनाने के करीब है. इसे लेकर दुनिया के डिफेंस एक्सपर्ट्स अलग-अलग मत जाहिर कर रहे हैं.
अमेरिका में उप-राष्ट्रपति चुनाव की बहस में पहला सवाल था कि क्या ये उम्मीदवार इजरायल की ईरान पर प्री-एम्पटिव स्ट्राइक का समर्थन करेंगे या विरोध. ऐसे में गवर्नर टिम वॉल्ज और सीनेटर जेडी वांस के लिये इस मुद्दे का तुरंत संज्ञान लेना बेहद ज़रूरी हो गया है क्योंकि ईरान ने अपनी परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता और गति को बहुत तेज़ कर लिया है. ईरान ऐसा केवल एक दो हफ्ते में कर सकता है.
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यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के एमिरेट्स प्रोफेसर ह्यूस्टन जी वुड ने कहा कि ईरान इस साल के अंत तक एटम बम का विस्फोट कर भी पाएगी. न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट प्रो. वुड ने कहा कि ईरान को कम से कम एक साल का समय लगेगा, तब जाकर वह इतना परमाणु ईंधन जमा कर पाए कि उसे हथियार में बदल सके. वैसी तकनीक विकसित कर पाए.
ईरानी सेना मानती है कि परमाणु नीतियां बदलनी चाहिए
वहीं दूसरी तरफ ईरान इस बात पर विचार कर रहा है कि उन्हें अपनी न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन यानी परमाणु हथियारों के सिद्धांतों को बदलना चाहिए. IRGC के अफसर इस बात को मान रहे हैं कि इस समय ईरान को न्यूक्लियर प्रोग्राम में नए बदलाव करने चाहिए. खासतौर से ऐसे जो वर्तमान जरूरतों को देखते हुए हों.
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सुप्रीम लीडर भी न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन के बदलाव पर सोच रहे
ऐसा लग रहा है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खमैनी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन को बदला जाए. ताकि नए न्यूक्लियर बम बनाए जा सकें. ईरान इस बात को मानता है कि उसके वैज्ञानिक जल्द से जल्द परमाणु हथियार बनाने में सक्षम हैं. ईरान के पास पर्याप्त रिसर्च सेंटर और ईंधन भी है. लेकिन तकनीक विकसित करनी होगी. या फिर किसी मित्र परमाणु शक्ति संपन्न देश से मांगनी होगी. ईरान इसके लिए रूस किसी ऐसे देश से संपर्क साध सकता है.