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दो मोर्चे से खतरा... संसदीय समिति ने की तेजस फाइटर जेट की प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग

भारत के ऊपर दो मोर्चों से एकसाथ हमले की आशंका लगातार बनी हुई है. ऐसे में भारतीय वायुसेना को तेजस फाइटर जेट्स की सख्त जरूरत है. रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने रक्षा मंत्रालय और HAL से तत्काल इसकी कमी को पूरा करने का आग्रह किया है.

रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने HAL और रक्षा मंत्रालय को तत्काल तेजस फाइटर जेट का प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग की है. रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने HAL और रक्षा मंत्रालय को तत्काल तेजस फाइटर जेट का प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग की है.
शिवानी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

देश के ऊपर दो तरफ से एक साथ हमले का खतरा हमेशा बरकरार है. ऐसे में भारतीय वायुसेना में फाइटर जेट्स की स्क्वॉड्रन में कमी खतरनाक है. रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि तेजी से Tejas Mk1A फाइटर जेट का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए. क्योंकि इस फाइटर जेट की सख्त जरूरत है. ताकि देश के सीमाओं के नजदीक इसकी तैनाती की जा सके. खासतौर से चीन और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के आसपास.

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संसदीय समिति ने कहा है कि जब दो तरफ से हमले का खतरा हो तब भारतीय वायुसेना के ऑपरेशनल कमी को तत्काल पूरा करना चाहिए. ताकि इंडियन एयरफोर्स स्ट्रैटेजिक लेवल पर आगे रह सके. तेजस स्वदेशी है. इसे राडार में आसानी से पकड़ा नहीं जा सकता. क्योंकि ये आकार में छोटा है. इसे कैप्चर करना आसान नहीं है. 

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भारतीय वायुसेना की कम होती स्क्वाड्रन ताकत को दूर करने के लिए रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने तेजस एमके1ए लड़ाकू जेट विमानों के उत्पादन में तेजी लाने का आग्रह किया है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा वितरण में देरी के कारण एयरफोर्स की ऑपरेशनल तैयारी प्रभावित हो रही है. 

42 स्क्वॉड्रनों की जरूरत... हैं सिर्फ 31 स्क्वॉड्रन

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समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद राधा मोहन सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वायुसेना वर्तमान में लड़ाकू स्क्वाड्रनों में गंभीर कमी का सामना कर रही है. जबकि वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के साथ दो-मोर्चे के खतरे का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए 42 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता है. वर्तमान में केवल 31 सक्रिय स्क्वाड्रनों का संचालन करती है. हर एक में 16-18 विमान हैं. 

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83 तेजस जेट्स की डिलीवरी में देरी से चिंता

83 तेजस एमके1ए जेट विमानों की डिलीवरी में देरी ने इस मुद्दे को और भी बढ़ा दिया है. जिसकी लागत 48,000 करोड़ रुपए है. मार्च से डिलीवरी शुरू होने वाली थी, लेकिन अभी तक एक भी जेट वितरित नहीं हुआ है. समिति ने HAL और MOD से उत्पादन को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायुसेना की क्षमताएं और अधिक प्रभावित न हों. 

ऐसी खतरनाक स्थिति में पुराने विमान रिस्की

पुराने विमानों से ऐसी स्थिति से नहीं निपटा जा सकता. वायुसेना अगले साल सोवियत-युग के मिग-21 जेट विमानों की दो स्क्वाड्रनों को हटाने वाली है. जबकि जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 जैसे अन्य विमानों को  2029-30 तक हटाएगी. इससे लगभग 250 लड़ाकू जेट विमानों की और कमी हो सकती है. ये 1980 के दशक में शामिल किए गए थे. 

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