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चीन इस देश में बना रहा है सीक्रेट मिलिट्री बेस... तालिबान के खिलाफ तैयारी या कोई और इरादा है?

चीन अपने पड़ोसी देश में सीक्रेट मिलिट्री बेस बना रहा है. क्योंकि उसे तालिबान आतंकी समूह से खतरा महसूस हो रहा है. इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया गया. खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है. चीन ने ऐसा क्यों किया है. जानिए चीन और उसके पड़ोसी देश की नई चाल...

ये है वो सीक्रेट मिलिट्री बेस जिसे चीन अपने पड़ोसी मुल्क ताजिकिस्तान में बना रहा है. (फोटोः मैक्सार) ये है वो सीक्रेट मिलिट्री बेस जिसे चीन अपने पड़ोसी मुल्क ताजिकिस्तान में बना रहा है. (फोटोः मैक्सार)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

तालिबान की घटिया हरकतों से परेशान चीन ने ताजिकिस्तान में सीक्रेट मिलिट्री बेस बनाया है. यह खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है. असल में चीन ने ताजिकिस्तान में काफी ज्यादा निवेश कर दिया है. ताजिकिस्तान पड़ोसी मुल्क है चीन का. चीन चाहता है कि अपने निवेश को बचाए रखने के लिए वह मिलिट्री फुटप्रिंट बढ़ाना चाहता है. 

चीन ने ताजिकिस्तान में जो निवेश किया है, उसे अफगानिस्तानी तालिबान से खतरा है. इसलिए चीन वहां मिलिट्री बेस बना रहा है. इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं था. लेकिन अब सैटेलाइट तस्वीर आने के बाद यह खुलासा हो चुका है. चीन ने इस सीक्रेट मिलिट्री फैसिलिटी को 13 हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर बनाया है.  

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यहां पर चीन और ताजिकिस्तान दोनों देशों की सेनाओं का मिश्रण है. वॉच टावर्स हैं. दोनों देश लगातार संयुक्त मिलिट्री ड्रिल भी कर रहे हैं. दोनों ही देशों ने इस मिलिट्री बेस का कोई आधिकारिक जिक्र नहीं किया है. लेकिन यह पुराना सोवियत आउटपोस्ट था, जिसे फिर से डेवलप किया जा रहा है. धीरे-धीरे निर्माण होता जा रहा है. 

चीन ने भर दिया ताजिकिस्तान को लेकर खाली वैक्यूम

4 जुलाई 2024 को चीन का राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताजिकिस्तान का तीसरा दौरा किया था. जिसके बाद से लगातार इन दोनों देशों के अधिकारियों और नेताओं के बीच बैठकें हुई हैं. इंग्लैंड स्थित इंटरनेशनल अलर्ट नाम के एनजीओ के कंट्री डायरेक्टर परविज मोलोजोनोव ने कहा कि ताजिकिस्तान में एक वैक्यूम था, जिसे चीन ने भर दिया है. 

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तालिबान के आने पर बढ़ी ताजिकिस्तान को लेकर चिंता

जब अफगानिस्तान की हालत बिगड़ी और साल 2021 में तालिबान ने उस पर कब्जा किया. अपनी सरकार बनाई. तब चीन को इस बात की चिंता थी कि कहीं ताजिकिस्तान की सुरक्षा को तालिबान से कोई खतरा न हो. क्योंकि ताजिकिस्तान के पास अफगानिस्तान से सटी 1287 किलोमीटर लंबी सीमा है. 

चीन ने पहुंचाया हथियार और तकनीक, ताकि सीमा सुरक्षित रहे

इसके बाद चीन ने ताजिकिस्तान को हथियार और तकनीक दी. ताकि वह अपनी सीमा पर एडवांस लाइन ऑफ डिफेंस बना सके. चीन ने तालिबान के राजदूत को भी मान्यता दी. आतंकी समूह के प्रमुख से अच्छे संबंध बनाने का प्रयास भी किया. लेकिन वह यह नहीं चाहता था कि उइगर मुसलमानों का जिक्र सामने आए. 

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मुसलमानों के खिलाफ उठाए गए कदम से भी है खतरा

चीन में उइगर मुसलमानों ने कई सरकार विरोधी प्रदर्शन किए हैं. इसका असर तालिबान के आकाओं पर हो सकता था. ताजिकिस्तान ने पिछले महीने ही हिजाब पहनने को प्रतिबंधित कर दिया. ताजिकिस्तान में हाल ही में विश्वास संबंधी कानून में 36 बदलाव किए हैं. ताकि उनके देश की राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत बची रहे. अंधविश्वास और कट्टरपंथ पर रोक लगाया जा सके.  

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मुसलमानों के लिए बनाए गए सख्त नियमों की वजह से दिक्कत

इतना ही नहीं, ताजिकिस्तान में कई मस्जिद बंद कर दिए गए हैं. पुलिस लंबी दाढ़ी वाले लोगों को पकड़ कर उन्हें जबरदस्ती कटवाने को कह रही है. कहा गया है कि इमाम जो भी बात कहेंगे वो सरकार के बनाए नियमों और गाइडलाइंस के मुताबिक होना चाहिए. बच्चे प्रार्थनाघरों में बिना अनुमति नहीं जा सकेंगे. जो भी माता-पिता अपने बच्चों को धार्मिक पढ़ाई करने के लिए विदेश भेजेंगे उन्हें जुर्माना देना होगा. इसके अलावा महिलाओं के पहनावे, कपड़ों के रंग, लंबाई को लेकर 367 पेज का मैन्यूअल भी जारी किया है. 

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